वन हल्दी, हल्दी की ही एक प्रजाति है। इसे वन हरिद्रा भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम क्यूरकुमार एरोमेटिका है। यह हल्दी की अन्य प्रजातियों की तरह भूमिगत तने के रूप में पाई जाती है। इसका भीतरी भाग गहरे नारंगी रंग का होता है। इसमें से साधारण हल्दी के तेज और कर्पूर की सी गंध आती है। इसका सामान्यत: साधारण हल्दी के स्थान पर रंगाई के काम में उपयोग किया जाता है। वन हल्दी पूरे भारत में खासतौर से मैसूर और मालवा प्रदेश के जंगलों में पाई जाती है। इसकी खेती बंगाल और केरल में प्रमुखता से की जाती है।
वन हल्दी में छह प्रतिशत तक हरे भूरे रंग का कर्पूर की सी गंध वाला उडऩशील तेल होता है। इसमें करक्यूमिन नामक रंजक द्रव्य होता है। इनके अलावा इसमें स्टार्च और एल्बयूमिनॉयड पाए जाते हैं। वन हल्दी में भी साधारण हल्दी के समान गुण होते हैं। इसका उपयोग रक्त विकार और त्वचा रोगों के उपचार में किया जाता है। इसके अलावा सिर दर्द, ज्वर, चोट, सूजन, मोच और खुजली के इलाज में इसका इस्तेमाल किया जाता है।