स्टॉक लेंडिंग और बॉरोइंग (एसएलबी) एक सिस्टम है। इसमें आमतौर पर शॉर्ट सेलिंग करने के लिए शेयर उधार लिया जाता है। लोन की तरह ही एसएलबी में इंटरेस्ट रेट और लोन का पीरियड होता है, जो शेयर उधार देने और लेने वाले आपसी सहमति से तय करते हैं। इसमें अहम बात यह है कि इंटरेस्ट रेट मार्केट के हिसाब से तय होता है और कंट्रोल फ्री होता है। लेंडिंग और बॉरोइंग फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (एफएंडओ) सेगमेंट वाले शेयरों की ही होती है।
स्टॉक लेंडिंग और बॉरोइंग में इंटरेस्ट रेट उस दिन शेयर की कीमत के हिसाब से तय होता है। आमतौर पर इंटरेस्ट रेट मंथली बेसिस पर होता है। एसएलबी में शेयरों को एक साल तक के लिए उधार लिया जा सकता है। हर एसएलबी ट्रांजैक्शन में सेटलमेंट की तारीख तय होती है। शेयर लौटाने के लिए महीने के पहले गुरुवार को सेटलमेंट डेट तय होती है। पीरियड को लेकर को पत्थर की लकीर जैसा कोई सख्त नियम नहीं है। शेयर उधार देने वालों को उधारी के पीरियड के बीच में कभी भी अपने शेयर वापस मांगने का अधिकार होता है।
शेयर उधार देने का काम एचएनआई जैसे लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स करते हैं, जिनके पोर्टफोलियो में बड़ी संख्या में शेयर होते हैं और उनको निकट भविष्य में बेचने में दिलचस्पी नहीं होती है।