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छत्तीसगढ़ एक खोज : अड़तीसवीं कड़ी : हिंदी सिनेमा का नायाब सितारा-किशोर साहू
16-Oct-2021 1:51 PM
छत्तीसगढ़ एक खोज : अड़तीसवीं कड़ी : हिंदी सिनेमा का नायाब सितारा-किशोर साहू

-रमेश अनुपम

किशोर साहू, किशोर साहू थे, अपनी तरह के एक अलग ही किरदार। एक प्रतिभाशाली अभिनेता, निर्देशक, निर्माता, पटकथा लेखक ही नहीं, हिंदी साहित्य में दखल रखने वाले सुप्रसिद्ध उपन्यास लेखक भी।  

अशोक कुमार, देवानंद, मनोज कुमार, राजकुमार, विश्वजीत जैसे अभिनेताओं के मित्र और देविका रानी, शोभना समर्थ, स्नेहलता प्रधान, प्रतिमा दासगुप्ता, अनुराधा, शमीम, रमोला जैसी उस जमाने की सुप्रसिद्ध सीने तारिकाओं के हरदिल अजीज।

अमृत लाल नागर, इस्मत चुगतई, मंटो, धर्मवीर भारती, कमलेश्वर, मनोहर श्याम जोशी जैसे हिंदी के मशहूर लेखक किशोर साहू के मित्र हुआ करते थे।

साधना, माला सिन्हा तथा परवीन बॉबी जैसी उस जमाने की तारिकाओं को उन्होंने पहले पहल अपनी फिल्मों में काम देकर हिंदी सिनेमा जगत से परिचित करवाया था।

किशोर साहू देवानंद के अभिन्न मित्र थे। देवानंद की नवकेतन फिल्म्स के बैनर तले बन रही फिल्म ‘गाइड’ में मारको के चरित्र के लिए देवानंद को एक चरित्र अभिनेता की जरूरत थी। आर.के.नारायण के सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘गाइड’ को वे अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में बना रहे थे।

अंग्रेजी फिल्म की पटकथा सुप्रसिद्ध लेखिका नोबेल प्राइज विजेता पर्ल बक लिख रही थीं और निर्देशन के लिए टेड डेनिलेविस्कि को चुना गया था। दोनों भारत भी आ चुके थे।

किशोर साहू उन दिनों मद्रास में अपनी फिल्म ‘गृहस्थी’ की शूटिंग में व्यस्त थे।

एक दिन बंबई से देवानंद का ट्रंक कॉल आया कि वे ‘गाइड’ फिल्म के सिलसिले में उनसे बात करना चाहते हैं इसलिए वे तुरंत बंबई आ जाएं।

देवानंद ने किशोर साहू को यह भी बताया की टेड और पर्ल बक भारत आ चुके हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि इस फिल्म में नायक की भूमिका वे स्वयं करेंगे तथा नायिका के रूप में वहीदा रहमान का चुनाव किया जा चुका है।

देवानंद ने फोन पर ही किशोर साहू को बताया कि ‘गाइड’ के सहनायक का चुनाव होना अभी बाकी है। उनका नाम भी सहनायक के पैनल में है इसलिए उनका बंबई आना जरूरी है।

किशोर साहू ने अपने अभिन्न मित्र देव को बताया कि ‘गृहस्थी’ की शूटिंग में व्यस्त होने के कारण फिलहाल उनका मद्रास से निकल पाना मुश्किल है। उन्होंने देव से कहा कि अच्छा होता तुम ही एक दिन के लिए मद्रास चले आते।

देव ने अपने मित्र की बात मान ली और दूसरे दिन टेड को लेकर मद्रास पहुंच गए।

दोपहर में किशोर साहू ने अपने मित्र देव को लंच पर आमंत्रित किया। देव और टेड दोनों लंच पर किशोर साहू के मद्रास स्थित बंगले पर पहुंचे।

टेड ने किशोर साहू को नजर भर देखा और देवानंद से कहा कि हमें जिस मारको की तलाश थी वे हमें किशोर साहू के रूप में मिल गए हैं।

देवानंद ने तुरंत अनुबंध पत्र निकाला और किशोर साहू से उस पर हस्ताक्षर करवा लिए। टेड और देव दोनों शाम की फ्लाइट से वापस बंबई लौट आए।

कुछ दिनों के पश्चात ‘गृहस्थी’ फिल्म की शूटिंग समाप्त कर तथा मद्रास को अलविदा कह किशोर साहू अपनी पत्नी प्रीति के साथ वापस बंबई लौट आए।

फरवरी सन 1963 में वे ‘गाइड’ फिल्म की शूटिंग में भाग लेने सपत्नीक उदयपुर पहुंचे। ‘गाइड’ फिल्म की पूरी यूनिट पहले ही उदयपुर पहुंच चुकी थी।

देवानंद ने पहले से ही किशोर साहू के लिए उदयपुर के लैक पैलेस होटल में रुकने का प्रबंध कर लिया था, जहां वे स्वयं तथा वहीदा रहमान, चेतन आनंद, पर्ल बक, टेड सभी ठहरे हुए थे।

‘गाइड’ फिल्म के लिए उदयपुर और चित्तौड़ का लोकेशन तय किया गया था। अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं के लिए एक साथ शूटिंग की जा रही थी पर दोनों की पटकथा और निर्देशन में काफी भिन्नता थी।

अंग्रेजी फिल्म का निर्देशन टेड कर रहे थे और हिंदी फिल्म का देव के अनुज विजय आनंद कर रहे थे। पटकथा भी विजय आनंद ने ही लिखी थी। पहले इस फिल्म का निर्देशन देव के बड़े भाई चेतन आनंद करने वाले थे पर देव से कुछ मनमुटाव हो जाने के चलते बात नहीं बनी सो निर्देशन की जिम्मेदारी भी विजय आनंद पर आ गई। शायद फिल्म की अपार सफलता के लिए इस संयोग का होना भी जरूरी था।

अंग्रेजी ‘गाइड’ फिल्म जल्दी बन गई और रिलीज भी हो गई साथ ही बुरी तरह से फ्लॉप भी हो गई। टेड एक कमजोर निर्देशक साबित हुए थे।

हिंदी में बनी ‘गाइड ’ 6 फरवरी सन 1965 में रिलीज हुई। हिंदी में बनी च् गाइड च् ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। यह फिल्म सुपरहिट फिल्म साबित हुई। देवानंद, वहीदा रहमान, किशोर साहू और विजय आनंद की कभी न भुलाई जाने वाली फिल्म सिद्ध हुई।

सचिनदेव बर्मन के संगीत और शैलेंद्र के लाजवाब गीतों ने तहलका मचा दिया। हर किसी के होंठ उन गीतों को गुनगुनाने के लिए जैसे बेताब थे ये गीत आज भी उतने ही कर्णप्रिय और सुमधुर हैं जितने आज से पचपन वर्ष पूर्व थे।

‘पिया तोसे नैना लागे रे’, ‘आज फिर जीने की तमन्ना है आज फिर मरने का इरादा है’, ‘तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं ’, ‘दिन ढल जाए हाय रात न जाए’, ‘वहां कौन है तेरा मुसाफिर जायेगा कहां’ जैसे गीतों को आज भी भुला पाना मुमकिन नहीं है।

‘गाइड’ फिल्म के विषय में स्वयं किशोर साहू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है-

‘हिंदी चित्र ‘गाइड’ बढिय़ा बना। लोगों ने इसमें एक नया देवानंद देखा। वहीदा रहमान इतनी आकर्षक कभी नहीं लगी जितनी वह ‘गाइड’ में लगी है। लोगों को मेरा अभिनय भी पसंद आया। ‘गाइड’ हर दृष्टि से एक अच्छा चित्र था और वह चली भी अच्छी थी।’

एक तरह से ‘गाइड’ किशोर साहू की अंतिम फिल्म साबित हुई।

हिंदी सिनेमा का यह नायाब सितारा और छत्तीसगढ़ का लाडला तथा प्यारा 22 अगस्त सन् 1980 में बैंकाक से उड़ान भरते समय हृदयाघात से मात्र 65 वर्ष की आयु में सदा-सदा के लिए सुदूर अंतरिक्ष में विलीन हो गया।

(अगले सप्ताह केदार नाथ ठाकुर और ‘बस्तर भूषण ’...)

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