सामान्य ज्ञान
भोजन का स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए मेथी का प्रयोग प्राय: हर घर में किया जाता है। मेथी को सब्जी तथा इसके दानों को मसाले के रूप में हमारे भोजन में प्रयोग किया जाता है। लगभग हर प्रदेश में मेथी की खेती की जाती है।
वैज्ञानिकों के अनुसार मेथी की पत्तियों में 9.8 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 4.9 प्रतिशत प्रोटीन, 81.8 प्रतिशत पानी, 1.6 प्रतिशत खनिज पदार्थ, 1.0 प्रतिशत फाइबर (रेशे), 0.9 प्रतिशत वसा तथा लोहा 16.19 मिलीग्राम प्रति सौ ग्राम में पाए जाते हैं। मेथी दानों में 25 प्रतिशत फास्फोरिक एसिड, गोंद, लेसीथिन, प्रोटीन, कोलाइन तथा ट्राइगोनेलिन एल्केहालइड्स पाए जाते हैं। मेथी के सूखे पचांग में प्रोटीन की मात्रा लगभग 16 प्रतिशत होती है। इसके अतिरिक्त मेथी में अनेक लाभकारी एंजाइम भी पाए जाते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार मेथी की तासीर गर्म, उसका स्वाद कड़वा तथा गुण में वह भारी होती है। यह वात, कफ, ज्वर तथा दाह नाशक होती है। यह कृमि, भूख न लगना, कब्ज, मोटापा, मधुमेह, गठिया आदि रोगों में लाभकारी है। स्तर तथा जनन पीड़ा, रक्तातिसार, जलने, गठिया, दुर्बल काम शक्ति के उपचार मेथी का प्रयोग किया जाता है। इसमें गर्भाशय संकोचन का गुण भी होता है। मेथी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है।