सामान्य ज्ञान
E=mc² महान वैज्ञानिक अल्फ्रेड आइंस्टाइन की देन है। इसी समीकरण पर ऊर्जा, प्रकाश और द्रव्यमान के करीबन सारे सिद्धांत टिके हैं।
27 सितंबर 1905 को अल्फ्रेड आइंस्टाइन ने ये सिद्धांत पेश किया। किसी भी पदार्थ से कितनी ऊर्जा निकल सकती है, खुद से पूछे गए इस सवाल के जवाब में अल्फ्रेड आइंस्टाइन ने कहा, पदार्थ के द्रव्यमान को प्रकाश की गति के वर्ग से गुणा कर दीजिए, पता चल जाएगा कि कितनी ऊर्जा निकलेगी। इस समीकरण ने भौतिक, रसायन और परमाणु विज्ञान में क्रांति कर दी।
आइंस्टाइन ने विज्ञान को सापेक्षता का सिद्धांत भी दिया, इसी से आधुनिक क्वाटंम फिजिक्स खड़ा हुआ। वर्ष 1921 में उन्हें फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट सिद्धांत के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी सिद्धांत की बदौलत आज सभी सेंसर चलते हैं। वर्ष 1933 में आइंस्टाइन दौरे पर अमेरिका गए थे, इसी दौरान जर्मनी में अडोल्फ हिटलर सत्ता में आ गया। इसके चलते आइंस्टाइन वापस लौटे ही नहीं, वो अमेरिका में ही बस गए। आइंस्टाइन को आशंका थी कि नाजी एटम बम बनाने के करीब पहुंच गए हैं। उन्होंने दुनिया भर के नेताओं को परमाणु हथियार के खतरों से वाकिफ भी कराया और कहा कि इंसानियत के खिलाफ इतनी बड़ी भूल न करें। आइंस्टाइन, महात्मा गांधी के बड़े प्रशंसक थे। वर्ष 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद अपने शोक संदेश में आइंस्टाइन ने कहा, आने वाली पीढिय़ां इस बात पर यकीन ही नहीं करेंगी कि कभी इस धरती पर इस तरह का आदमी भी रहा होगा।