सामान्य ज्ञान
मनसा एक सर्प देवी है, मुख्य रूप से बंगाल और भारत के अन्य पूर्वोत्तर हिस्सों में, मुख्यत: सांप के काटने के उपचार, रोकथाम और उर्वरता एवं आम समृद्घि के लिए पूजी जाती हैं। मनसा देवी का उल्लेख पुराणों में है। मनसा शब्द का प्रचलित अर्थ इच्छा है। कहा जाता है कि मां मनसा सच्चे मन वाले हर श्रद्धालु की इच्छा को पूरा करती हैं।
मान्यता है कि मनसा देवी का जन्म संत कश्यप के मस्तिष्क से हुआ है। उन्हें नाग राजा वासुकी की पत्नी भी माना जाता है। कहा जाता है कि मनसा ने भगवान शंकर की कठोर तपस्या करके वेदों का अध्ययन किया और कृष्ण मंत्र प्राप्त किया, जो कल्पतरु मंत्र कहलाता है। इसके बाद देवी ने कई युगों तक पुष्कर में तप किया। भगवान कृष्ण ने दर्शन देकर वरदान दिया कि तीनों लोकों में तुम्हारी पूजा होगी।
बच्चों की रक्षक के रूप में इनकी पहचान षष्टिï देवी (छठी, बच्चे के जन्म के बाद छठे दिन पूजित) के साथ की जाती है। इस देवी की पुरातनता अटकल का विषय है। उनकी लोकोक्ति बांग्ला ग्रंथ मनसा मंगल (16वीं-17वीं सदी) में मिलती है, जो संभवत: पहले की मौखिक परंपरा पर आधारित है। गांवों में विभिन्न मनोरंजन-कार्यक्रमों में भी उनकी स्तुति की जाती है। मनसा का व्यक्तित्व विशिष्टï है और बंगाल और आसपास के इलाकों में उनका मिथक लोकप्रिय है, लेकिन दक्षिण एशिया की अन्य जगहों में शायद ही कहीं जानी जाती है।
मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार में हरकी पैड़ी के पास गंगा किनारे पहाड़ी पर स्थित है। हरिद्वार के चंडी देवी और माया देवी के साथ मनसा देवी को भी सिद्ध पीठों में प्रमुख माना जाता है।