विचार / लेख
डाॅ. परिवेश मिश्रा
सर आईज़ैक न्यूटन के साथ जुड़ी सेव गिरने की कहानी हम सब सुनते आये हैं। वही थोड़ी और.....
सेव न्यूटन के सिर पर गिरा कि नहीं यह तो कहानियां स्पष्ट नहीं करती किन्तु सेव के गिरने के कारण विचारों की श्रृंखला चल निकली, यह न्यूटन को उद्धृत करते हुए उनके मित्र ने पुस्तक में लिखा है।
सेव सीधा नीचे ज़मीन की ओर क्यों गिरा? दायीं या बायीं ओर या ऊपर क्यों नहीं गिरा? इन सब प्रश्नों की खाल उधेड़कर पृथ्वी के "गुरुत्वाकर्षण के नियम" प्रतिपादित करने का अवसर प्लेग की महामारी ने दिया था।
स्कूली पढ़ाई में आये व्यवधानों के चलते सन् 1661 में स्वाभाव से अंतर्मुखी और एकांत में किताबें पढ़ने के शौकीन उन्नीस वर्षीय, आईज़ैक न्यूटन जब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी काॅलेज पहुंचे तो दूसरे छात्रों की तुलना में उम्र अधिक थी। (संयोगवश, यह वही काॅलेज है जहां आगे चलकर अमर्त्य सेन जैसे शिक्षक और डाॅ. मनमोहन सिंह जैसे विद्यार्थी हुए)।
1665 में इंग्लैंड में फैली प्लेग की महामारी के कारण कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी को बन्द कर दिया गया था। शिक्षण संस्थाएं दो वर्ष तक बंद रहीं। विद्यार्थी अपने अपने घरों को लोट गये और अपनी अपनी पसंद के अनुसार समय व्यतीत करने लगे।
न्यूटन के लिए यह अवसर था पुस्तकों के साथ बगीचे में वृक्षों के नीचे अध्ययन-मनन के अपने पुराने शौक की ओर लौटने का।
मानव जाति इस बात की सदा ऋणी रहेगी की उन दिनों "ऑनलाइन शिक्षा", मोबाईल और टेलीविज़न अस्तित्व में नहीं थे और न्यूटन को महामारी के दौरान "वर्क फ्राॅम होम" के अवसर का भरपूर फायदा उठाने में किसी अवरोध का सामना नहीं करना पड़ा।
कहानी एक तरह से यहां पूरी हो जाती है। फिर भी आगे पढ़ना चाहें तो.......
..........1643 में इंग्लैंड के एक गांव में जन्म होने से पहले ही इन्होने पिता को खो दिया था। दो वर्ष होते तक मां ने दूसरा विवाह कर लिया और बच्चे को नानी के पास दूसरे गांव भेज दिया था। अगले आठ साल बाद मां के दूसरे पति की भी मृत्यु हो गयी। दूसरे पति की ज़मीन ज़ायदाद न्यूटन की मां को मिली। इसे संभालने की जिम्मेदारी दे कर मां ने न्यूटन को पास बुला लिया। किन्तु तब तक गुमसुम और अपनी ही उधेड़बुन में रहना बालक का स्वाभाव बन चुका था। इन्हे मवेशियों को चराने का जिम्मा मिला लेकिन ये जनाब मवेशियों की सुध छोड़ किसी वृक्ष के नीचे पुस्तक पढ़ने में लीन पाये जाते।
गांव के सयानों ने मां को समझाया, जोकि वैसे भी स्पष्ट था, - जो काम न्यूटन को सौंपा गया है उसके लिए वे अनुपयुक्त हैं। उन्हे पढ़ने के लिए एक बार फिर गांव के स्कूल भेज दिया गया। व्यवधानों के बीच स्कूली शिक्षा पूरी हुई। किन्तु इस बीच मवेशियों के बहाने जो घंटों पेड़ों के नीचे बैठकर पुस्तकों में लीन रहने की आदत पड़ी वह आगे चलकर मानव इतिहास में विज्ञान की क्रांति को आगे बढ़ाने में बड़ी सहायक बनी।
डाॅ. परिवेश मिश्रा
गिरिविलास पैलेस
सारंगढ़ (छत्तीसगढ)