सामान्य ज्ञान
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। इसकी स्थापना सेबी अधिनियम 1992 के तहत 12 अप्रैल 1992 में हुई। केंद्र सरकार ने सेबी अधिनियम 1992 में संशोधन करते हुए देश के प्रतिभूति नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India, SEBI) के अधिकारों में वृद्धि की है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 17 जुलाई 2013 को सेबी अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी।
सेबी बढ़ाए गए अधिकारों में शामिल है- निवेशकों के फोन कॉल के रिकॉर्ड्स की निगरानी कर पाना और संदेहास्पद कंपनियों की जांच करना शामिल है। अधिकारों में वृद्धि से सेबी को अधिकार होगा कि वह किसी भी संदेहास्पद कंपनी के परिसर एवं खातों की जांच कर सके। सेबी ने इन अधिकारों के लिए काफी लंबे समय से इनसाइडर ट्रेडिंग के दावों तथा देश पूंजी बाजार में जोड़-तोड़ की जांच के लिए सरकार के पास बिना न्यायालय की अनुमति के कॉल रिकॉर्ड्स की निगारानी कि अधिकार मांगे थे।
केंद्रीय कैबिनेट ने एक अन्य महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए सेबी को ‘चिट फंड’ कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए प्रतिभूति से जुड़े कानूनों में भी बदलाव किए। चिट फंड गैर-कानूनी न होते हुए भी शिथिल एवं अपर्याप्त नियमों के चलते देश भर में निवेश की पोंजी तथा पिरामिड स्कीमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। जिसके चलते इन योजनाओं में निवेश करने वाले कई निवेशकों को धोखाधड़ी की सामना करना पड़ा था।