सामान्य ज्ञान
ज्वालामुखी मंदिर, कांगडा घाटी से 30 कि.मी. दक्षिण में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यह मंदिर 51 शक्ति पीठों में शामिल है। ज्वालामुखी मंदिर को जोता वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है। ज्वालामुखी मंदिर को खोजने का श्रेय पांडवों को जाता है। उन्हीं के द्वारा इस पवित्र धार्मिक स्थल की खोज हुई थी। मान्यता है कि इस स्थल पर माता सती की जीभ गिरी थी। इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति रूप में होते हंै। ज्वालामुखी मंदिर के समीप में ही बाबा गोरा नाथ का मंदिर है। जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का प्राथमिक निर्माण राजा भूमि चंद के करवाया था। बाद में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसारचंद ने 1835 में इस मंदिर का पूर्ण निर्माण कराया। मंदिर के अंदर माता की नौ ज्योतियां हंै जिन्हें, महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।
ज्वालामुखी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों में से एक है। पूरे भारतवर्ष मे कुल 51 शक्तिपीठ है। जिन सभी की उत्पत्ति कथा एक ही है। यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुऐ है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इन सभी स्थलों पर देवी के अंग गिरे थे।