विचार / लेख

यह कैसा धर्मांतरण है ?
23-Jun-2021 12:04 PM
यह कैसा धर्मांतरण है ?

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते ने धर्मांतरण के एक बहुत ही घटिया षडय़ंत्र को धर दबोचा है। ये षडय़ंत्रकारी कई गरीब, अपंग, लाचार और मोहताज़ लोगों को मुसलमान बनाने का ठेका लिये हुए थे। इन मजहब के दो ठेकेदारों— उमर गौतम और जहांगीर आलम कासमी— को गिरफ्तार किए जाने के बाद पता चला है कि उन्होंने एक हजार लोगों को मुसलमान बनाया है। कैसे बनाया है ? उन्हें कुरान शरीफ के उत्तम उपदेशों को समझा कर नहीं, इस्लाम के क्रांतिकारी सिद्धांतों को समझाकर नहीं और पैगंबर मोहम्मद के जीवन के प्रेरणादायक प्रसंगों को बताकर नहीं, बल्कि लालच देकर, डरा-धमकाकर, हिंदू धर्म की बुराईयां करके। नोएडा के एक मूक-बधिर आवासी स्कूल के बच्चों को फुसलाकर योजनाबद्ध ढंग से उनका धर्मांतरण करवाया गया और उनकी शादी मुस्लिम लड़कियों से करवा दी गई।

यह काम सिर्फ दिल्ली और नोएडा में ही नहीं हुआ, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में भी इस षडय़ंत्र के तार फैले हुए हैं। इस घटिया काम की जांच में यह पाया गया कि उन्हें भरपूर पैसा भी मिलता रहा। इस पैसे के स्त्रोत आईएसआईएस और कुछ अन्य विदेशी एजेन्सियां भी रही हैं। इस राष्ट्रविरोधी काम को अंजाम देने का खास जिम्मा उठा रखा था, उमर गौतम ने। इसका असली नाम श्यामप्रकाश सिंह गौतम था। इसने एक मुसलमान लड़की से शादी की और कुछ वर्ष पहले मुसलमान बनने पर धर्मांतरण का काम जोर-शोर से शुरु कर दिया।

गौतम से कोई पूछे कि तुम खुद मुसलमानों क्यों बने थे? क्या इस्लाम की अच्छाइयों या पैगंबर के जीवन से प्रेरणा लेकर तुम मुसलमान बने थे ? जितने लोगों को तुमने मुसलमान बनाया है, क्या वे इस्लाम के सिद्धांतों को समझते हैं और क्या वे अपने जीवन में उनका पालन करते हैं ? यदि कोई व्यक्ति किसी मजहब के सिद्धांतों को समझ कर अपना धर्म-परिवर्तन करता है तो उसका यह अधिकार है। ऐसा करने से उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन जोर-जबर्दस्ती, लालच और वासना के कारण जो धर्मांतरण होता है, वह निकृष्ट कोटि का अधर्म है।

खुद कुरान शरीफ के अध्याय 2 और आयत 256 में कहा गया है कि ''मजहब में जबर्दस्ती का कोई स्थान नहीं है।ÓÓ जो धर्मांतरण गौतम और कासमी करते रहे हैं, क्या वह इस कसौटी पर खरा उतरता है? महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी ने भी ईसाई पादरियों द्वारा किए जा रहे धर्म-परिवर्तन का कड़ा विरोध किया था। वास्तव में यह धर्मांतरण नहीं, धर्म का कलंकरण है। भारत के कई राज्यों ने ऐसे अनैतिक धर्मांतरण के विरुद्ध कठोर कानून बना रखे हैं।

ऐसे ही कानून के तहत उक्त लोगों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की है। वास्तव में ऐसे धर्मांतरण में धर्म कम, राजनीति ज्यादा होती है। अंग्रेज ने अपनी राजनीतिक सत्ता मजबूत करने के लिए जैसे ईसाइयत को साधन बनाया था और तुर्कों व मुगलों ने इस्लाम का इस्तेमाल किया था, वैसे ही आजकल कई छुटभय्ये अपनी तुच्छ स्वार्थ-सिद्धि के लिए मजहब का इस्तेमाल करते रहते हैं।
(नया इंडिया की अनुमति से)

 

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