राष्ट्रीय
मुंबई, 22 जून | मुंबई को झकझोर देने वाली फर्जी कोविड टीकाकरण की घटना पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई नगर निगम को अपराध के सरगनाओं को पकड़ने और पूरे रैकेट का पता लगाने का निर्देश दिया। सामाजिक कार्यकर्ता व अधिवक्ता सिद्धार्थ चंद्रशेखर द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने मुंबई पुलिस को गुरुवार तक घोटालों की अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा।
यह सुझाव देते हुए कि सरकार और नागरिक निकाय प्राथमिकता पर एक नीति बना सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी निर्दोष पीड़ित न हो। अदालत ने जानना चाहा कि क्या हाउसिंग सोसाइटियों में निजी टीकाकरण शिविरों के आयोजकों को जारी की जाने वाली खुराक पर नजर रखने के लिए एक प्रणाली बनाई जा सकती है?
अदालत ने प्रासंगिक दिशा-निर्देश बनाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि धोखाधड़ी ज्यादातर पश्चिमी उपनगरों (मुंबई के) में हो रही है और लोगों को ठगने वाले रैकेट के सरगना का पता लगाना चाहिए।
न्यायाधीशों ने कहा, "यह अकल्पनीय है कि संकट के इस समय में जब पूरी मानवता पीड़ित है, लोग इस तरह की धोखाधड़ी कर रहे हैं।"
अदालत ने आगे राज्य और बीएमसी को उन प्रक्रियाओं के बारे में सूचित करने के लिए कहा, जो हाउसिंग सोसाइटियों द्वारा ऐसे नकली टीकाकरण शिविरों को रोकने के लिए अपनाई जा सकती हैं और कहा कि उन्हें दोषियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना चाहिए।
बीएमसी के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने अदालत को सूचित किया कि मुंबई पुलिस पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है और नागरिक निकाय ने भी आवश्यक उपाय शुरू कर दिए हैं।
पिछले महीने कांदिवली पश्चिम में पॉश हीरानंदानी हेरिटेज सोसाइटी में 390 सदस्यों और अन्य पर फर्जी टीकाकरण अभियान पर याचिकाकर्ता की वकील अनीता कास्टेलिनो की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, "पानी से टीका लगाने वाले व्यक्ति की दुर्दशा की कल्पना करें। उसकी मन:स्थिति अकल्पनीय है।"
बाद में, बोरीवली में आदित्य कॉलेज और अंधेरी में टिप्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड सहित अन्य मामले भी सामने आए। यहां तक कि पुलिस ने पिछले हफ्ते धोखाधड़ी के सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया। (आईएएनएस)