सामान्य ज्ञान
गर्मियों के महीनों में पर्वतों की चट्टïानों की दरारों में से एक पदार्थ बहता है, जिसे शिलाजीत कहते हैं। भारत में यह हिमालय पर्वत की मालाओं में मिलता है। पत्थरों के बीच में कुछ पेड़-पौधे जमे रहते हैं। कालांतर में वो सूख जाते हंै और जब कड़ी धूप निकलती है तो एक गीले पदार्थ के रूप में बह निकलते हैं।
शिलाजीत चार तरह के बताए गए हैं- स्वर्ण, रजत, ताम्र और लौह शिलाजीत सबसे अच्छा माना जाता है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि यह एक रसायन है और रसायन होने के कारण इसका प्रयोग हर बीमार के इलाज में हो सकता है। विशेषकर मूत्रगत विकारों को दूर करने, मधुमेह जैसे रोगों के इलाज में, मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने, मोटापा कम करने और आयु बढ़ाने के लिए किया जाता है।
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कोंकणी
कोंकणी, भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कोंकण क्षेत्र की एक स्वतंत्र भाषा है । यह मराठी और हिंदी से मिलती जुलती है। इस क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण भाग गोवा पर शताब्दियों तक पुर्तगालियों का शासन रहा। उन्होंने बलपूर्वक लोगों का धर्मपरिवर्तन भी कराया और भाषा तथा संस्कृति को भी छिन्न-भिन्न करने का प्रयास किया, लेकिन लोगों में अपनी भाषा के प्रति मोह बना रहा। इसलिए ईसाई मिशनरियों को भी बाध्य होकर अपना धार्मिक साहित्य कोंकणी में प्रस्तुत करना पड़ा।
पुर्तगालियों के कारण उनके आने से पूर्व का साहित्य नष्टï हो गया। इसलिए 17 वीं शताब्दी से पहले का इस भाषा का कोई साहित्य उपलब्ध नहीं है।