विचार / लेख

रिस्क लेकर कहने की ताकत
17-Jun-2021 3:51 PM
रिस्क लेकर कहने की ताकत

-कनुप्रिया
रोनाल्डो कोई पूँजीवाद विरोधी या समाज सुधारक नहीं हैं, एक ज़बरदस्त खिलाड़ी हैं, अपने खेल के लिए समर्पित हैं, सेलिब्रिटी है, उसके द्वारा विज्ञापन किए जाने वाले प्रोडक्ट्स की सूची इतनी लंबी है कि वो पार्ट टाइम मॉडल ही कहलाया जाए। संभव हैं उनमे व्यक्तिगत दोष हों और कल को ऐसे मामले में फँस जाएँ (जिसकी पॉसिबिलिटी मुझे अब और ज़्यादा लगती है) कि लोग कहें उन्हें हीरो बनाने में जल्दी की। 

संभव है वो हीरो बनाने लायक न ही हों, मगर कल का उनका एक्ट तो वीर रस ही था।
 
कहीं पढा कि उन्हें सॉफ्ट ड्रिंक्स पसंद ही नहीं, जब उनके बच्चे सॉफ्ट ड्रिंक पीते हैं तो वो उन्हें मना करते हैं। कोका कोला कम्पनी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि सबकी अपनी पसंद होती है कि वो कौनसा ड्रिंक पिएँ या नही, मगर रोनाल्डो के लिये यह पसन्द से ज्यादा स्वास्थ्य का मामला है और वो इन कोल्ड ड्रिंक्स को स्वास्थ्य के लिये ठीक नही मानते। 

रोनाल्डो चाहते तो अपने विचार को अपने घर तक सीमित रखते, या किसी इंटरव्यू में व्यक्तिगत विचार की तरह कह देते, वो चाहते तो कोक का विज्ञापन करने से मना भर कर देते मगर उन्होंने अपने दोषसिद्धि के लिए सरे आम प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्टैंड लिया और कोक को हटाकर पानी पीने की सलाह दी, उस कोक को जो यूरो कप का स्पॉन्सर है जिसमे वो खेल रहे हैं। 

सेलिब्रिटीज़ की ताक़त उनके फ़ॉलोअर्स होते हैं, उनकी सामाजिक प्रभाव शक्ति होती है,  जिस पावर को कम्पनियाँ अपने हित मे इस्तेमाल करती हैं और सेलिब्रिटीज के हितों का खयाल रखती हैं, मगर हमारे यहाँ जिस तरह वो अम्बानी की शादी में लाइन से बैठे नजर आते हैं और देश की हर आपदा स्थिति में चुप्पी साधने के बाद ट्वीट कर कर के किसान आंदोलन को देश का आंतरिक मामला बताते हैं, साफ है कि उनकी ताकत बस जनता को प्रभाव करने तक सीमित है। इससे ज़्यादा स्टैंड वो ले नही सकते।  वो घर में चाहे कोई विचार रखते हों किसी तरह का भी रिस्क लेकर उन विचारों को कहने की क्षमता उनके पास नहीं। 

इसी से याद आया कि सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद बहुत लोगों ने दबे हुए स्वरों में फिल्म इंडस्ट्रीज की बड़ी प्रोडक्शन कम्पनीज़ के आधिपत्य के बारे में कहा था, बात नेपोटिज़्म तक सीमित कर दी गई और मामला परिवावाद बनाम व्यक्तिगत संघर्ष का हो गया मगर असल पावर तो उन प्रोडक्शन कम्पनीज के पास है। अब सुनते हैं कार्तिक आर्यन उसी उत्पीडऩ से गुजर रहे हैं और सिर्फ अनुराग कश्यप ने इसके विरोध में अपनी जुबान खोली है। 

सेलिब्रिटीज की छोडिय़े, दुनिया भर की सरकारों में अगर बड़ी कम्पनीज से अपनी शर्ते मनवाने का हौसला होता तो हम दो हमारे दो टाइप सरकारें न चल रही होतीं, जिसमे 56 इंच का असल मतलब उन कम्पनियों के हित मे बिना पलक झपकाए जनता का बड़े से बड़ा अहित करने का माद्दा होता है। 

जब खोने की कीमत ज़्यादा हो, जो स्टेक पर लग सकता हो उसका साइज़ बड़ा हो यानी बड़ा रिस्क इन्वॉल्व हो तब भी अपने विचारों अपने दोषसिद्धि के लिये स्टैंड लेना रीढ़ की हड्डी कहलाता है। स्टार शक्ति कम्पनियों को करोड़ों का मुनाफ़ा कराने में नही है, एक हल्के से एक्ट से मिनटों में बिलियन डॉलर का नुकसान कराने में है, नियंत्रण के खिलाफ खड़े होने में है और दूसरे सेलिब्रिटीज तक  यह सन्देश पहुँचाने में है कि यह रिस्क लिया जा सकता है लेना चाहिये। 

सुना है नॉन अल्कोहॉलिक फ्रांसीसी खिलाड़ी पॉल पोग्बा ने आज मंच पर अपने सामने से  हैनिकेन बियर की बोतल सरका दी है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news