विचार / लेख

किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं, यह समझने के लिए शिमला जाइए
16-Jun-2021 8:51 AM
किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं, यह समझने के लिए शिमला जाइए

-जगदीश जोशी 

शिमला में सेब के बाग है और किसानों से छोटे छोटे व्यापारी सेब ख़रीदकर देश भर में भेजते थे। व्यापारियों के छोटे छोटे गोदाम थे। अडानी की नजर इस कारोबार पर पड़ी । हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार है तो अडानी को वहाँ ज़मीन लेने और बाक़ी काग़ज़ी कार्यवाही में कोई दिक्कत नहीं आयी। अडानी ने वहाँ पर बड़े बड़े गोदाम बनाए जो व्यापारियों के गोदाम से हजारों गुना बड़े थे । 

अब अडानी ने सेब खरीदना शुरू किया, छोटे व्यापारी जो सेब किसानों से 20 रुपए किलो के भाव से खरीदते थे, अडानी ने वो सेब 22 रुपये किलो ख़रीदा। अगले साल अडानी ने रेट बढ़ाकर 23 रुपये किलो कर दिया। अब छोटे व्यापारी वहाँ खत्म हो गए, अडानी से कम्पीट करना किसी के बस का नहीं था। जब वहां अडानी का एकाधिकार हो गया तो तो तीसरे साल अडानी ने सेब का भाव 6 रुपय किलो कर दिया। 
अब छोटा व्यापारी वहाँ बचा नहीं था, किसान की मजबूरी थी कि वो अडानी को 6 रुपये किलो में सेब बेचे। अब अडानी किसान से 6 रुपए किलो सेब खरीदता है और उस पर एक-दो पैसे का अडानी लिखा स्टिकर चिपका कर 100 रुपए किलो बेच रहा है। बताइए क्या अडानी ने वो सेब उगाए? 

टेलिकॉम इंडस्ट्री की मिसाल भी आपके सामने हैं। कांग्रेस की सरकार में 25 से ज़्यादा मोबाइल सर्विस प्रवाइडर थे। JIO ने शुरू के दो-तीन साल फ्री कॉलिंग, फ्री डेटा देकर सबको समाप्त कर दिया। आज केवल तीन सर्विस प्रवाइडर ही बचे हैं और बाक़ी दो भी अंतिम सांसे गिन रहे हैं। अब JIO ने रेट बढ़ा दिए। रिचार्ज पर महीना 24 दिन का कर दिया। पहले आपको फ़्री और सस्ते की लत लगवाई अब JIO अच्छे से आपकी जेब काट रहा है।

कृषि बिल अगर लागू हो गया तो गेहूं , चावल और दूसरे कृषि उत्पाद का भी यही होगा। पहले दाम घटाकर वो छोटे व्यापारियों को खत्म करेंगे और फिर मनमर्ज़ी रेट पर किसान की उपज ख़रीदेंगे। जब उपज केवल अडानी जैसे लोगों के पास ही होगी तो मार्केट में इनका एकाधिकार और वर्चस्व होगा और बेचेंगे भी यह अपने रेट पर। अब सेब की महंगाई तो आप बर्दाश्त कर सकते हो क्योंकि उसको खाए बिना आपका काम चल सकता है लेकिन रोटी और चावल तो हर आदमी को चाहिए। 

अभी भी वक्त है, जाग जाइए, किसान केवल अपनी नहीं आपकी और देश के 100 करोड़ से अधिक मध्यमवर्गीय परिवारों की भी लड़ाई लड़ रहा है।

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