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लडक़ी हूं और लडक़ी से शादी कर ली तो क्या हो गया?
14-Jun-2021 2:12 PM
लडक़ी हूं और लडक़ी से शादी कर ली तो क्या हो गया?

-सुशीला सिंह
हम दोनों ने अगर शादी की है तो क्या किसी लडक़े से की है?
क्यों हमसे लोग नाराज हैं? लडक़ी-लडक़ी ने ही तो की है (फिर गाली देते हुए) इससे गांव वालों को क्या दिक्कत है।
ये कहकर प्रिया (बदला हुआ नाम) मुझसे पूछती हैं आप क्या हमारी मदद करोगे?
मैंने ठहर कर कहा कि तुम्हारी शादी ही वैध नहीं है प्रिया।
फोन पर कुछ सेकेंड के लिए चुप्पी पसरगई फिर उसने मुझसे कई सवाल करने के बाद कहा कि हमने प्यार क्या किया जिंदगी ही बर्बाद हो गई।
प्रिया, लता (बदला हुआ नाम) से प्यार करती हैं। जो उनके गांव से थोड़े ही दूर रहती हैं।
प्रिया बेलदारी या मनरेगा कार्यक्रम के तहत जो काम मिल जाता है उसी से अपना ख़र्चा चलाती हैं। प्रिया के माता-पिता का निधन हो गया है और वह अपने भाइयों, भाभियों और बहन के साथ रहती हैं।
प्रिया कहती है, ‘मुझे उससे पहली नजऱ में प्यार हो गया था। हम पहली कक्षा से साथ पढ़े हैं। स्कूल में भी जब उसे कोई लडक़ा या लडक़ी तंग करता तो मैं लड़ जाया करता।’
प्रिया बातचीत में अपने आप को लडक़ों की तरह संबोधित करती हैं। दोनों से बातचीत में प्रिया जितनी दबंग लगती हैं लता उतनी ही सहमी नजर आती हैं।
लता फोन पर बड़ी दबी ज़ुबान में बात करते हुए मुझसे कहती हैं कि मेरे आस-पास घर वाले हैं, मैं खुलकर बात नहीं कर सकती।


 

बचपन से हमें प्यार है
वह बताती हैं, ‘प्यार तो हम में पहली कक्षा से था लेकिन सातवीं से जब हमारी समझ बननी शुरू हुई तो हम एक दूसरे के लिए एक अलग प्यार महसूस करने लगे। स्कूल में साथ रहना, आस-पास या बाजार साथ में जाना। प्रिया आठवीं से बेलदारी का काम भी कभी-कभी करती तो उन पैसों से मेरे लिए कपड़े, कॉपी और मिठाई लेकर आती थी।’
‘वह कहीं भी अगर जाती तो मुझे हमेशा अपने साथ लेकर जाती थी। हमसे दूर रहा नहीं जाता था। जितने हम दूर रहते थे उतना ही और मिलने का दिल करता था। किसी को हमारे प्यार की कोई भनक नहीं थी। हम स्कूल के बाद भी रोज़ मिलते थे।’
प्रिया बताती हैं कि आठवीं तक सब ठीक चल रहा था लेकिन आठवीं के बाद अलग-अलग स्कूल में दाखिला हो गया।
इस बीच प्रिया, लता से नाराज़ हो गई कि उसने उसी के स्कूल में मां-पिता को दाखिले के लिए क्यों नहीं कहा। बीच में कुछ दिन के लिए बात भी बंद हुई और इसी बीच प्रिया के मुताबिक एक लडक़ा लता को छेडऩे लगा। प्रिया को इस बारे में पता चला और शिकायत की लेकिन इसमें लता पर उलटे आरोप लगा दिए गए और चरित्र पर सवाल उठाया गया।
इधर लता की शादी की बात भी घर में होने लगी।
दोनों अलग-अलग स्कूल में दो साल पढ़े मगर लता दसवीं में फेल हो गईं। प्रिया बताती हैं कि इस दौरान हमारी लड़ाई ज़्यादा होती थी, लेकिन फिर उसने घरवालों को मनाया और लता को आगे पढ़ाने को कहा।
प्रिया ने लता का 10वीं में दाखिला कराया और खुद 12वीं में उसी स्कूल में दाखिला लिया। लेकिन दसवीं के बाद प्रिया ने लता को आगे पढऩे नहीं दिया। उसका कहना था कि माहौल ठीक नहीं था। मैं उसके लिए किस-किस से लड़ता।
लता का कहना था, ‘घर में उसकी शादी की बातें तेज़ होने लगी थीं। मैंने इस बारे में प्रिया को भी बताया। इसके बाद हमने शादी करने का फैसला लिया। मुझे किसी प्रकार का कोई डर नहीं था। वह जो कहेगी मैं वो करने को तैयार हूं।’

जब घर वालों को पता चला
लता बताती है, ‘मैंने घर के ही कपड़े, सलवार-कमीज़ पहने और उसने पेंट शर्ट पहना था। हमने मंदिर में शादी कर ली लेकिन घर में कुछ नहीं बताया। और अपने-अपने घर लौट आए।’
आगे बताते हुए प्रिया कहती हैं कि पता नहीं कहां से अख़बार में ये खबर छपी और पूरे गांव में ये बात फैल गई।
लता के अनुसार, ‘जब घरवालों को पता चला वो काफी नाराज हुए। मम्मी से लड़ाई भी हुई। उनका कहना था लडक़ी-लडक़ी की शादी थोड़े न होती है, उसने (प्रिया) इस पर कुछ करा दिया है। इसका दिमाग खराब हो गया है।’
प्रिया के घर में भी यही सवाल पूछा गया कि क्या लडक़ी-लडक़ी के बीच में शादी होती है? वो कहती हैं कि इसके तीन दिन बाद घर में पुलिस आ गई और मेरे जो दस भाई-बहन हैं वे लोग ऐसा कर रहे थे जैसे पता नहीं क्या हो गया है फिर पुलिस की ओर से भी मुझे समझाया गया।
लता बताती हैं कि उन्हें डर लग रहा था। इसके बाद प्रिया ने पूछताछ की और एक वकील की मदद से कोर्ट का दरवाजा भी खटखटखटाया। इसका सारा खर्च प्रिया ने ख़ुद उठाया।

मैं जो बोलूंगी वो लता करेगी
इन दोनों के वकील भीम सेन का कहना है कि प्रिया और लता ने लिव-इन-रिलेशनशिप का एक हलफनामा दायर किया था और उच्च न्यायलय, जयपुर में याचिका डालकर कहा था कि इन दोनों ने 20 दिसंबर 2018 को मंदिर में शादी की थी।
इनका कहना था कि हमने शादी की बात घरवालों को नहीं बताई थी लेकिन पता चलने के बाद हमारे घरवाले और रिश्तेदार जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
कोर्ट ने कहा था कि दोनों याचिकाकर्ता का एक ही जेंडर हैं और ये एक साथ रहना चाहती हैं। हाईकोर्ट ने इस जोड़े को सुरक्षा देने का निर्देश दिया ताकि शारीरिक नुक़सान न पहुंचाया जा सके। लेकिन कोर्ट ने उनकी शादी पर कोई टिप्पणी नहीं की थी। भारत की सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक संबंधों को गैर कानूनी बताने वाली धारा 377 को खारिज कर चुकी है।
प्रिया हंस कर कहती हैं, ‘अगर मैं लता को कहूं कि कुएं में गिर जाओ तो गिर जाएगी। उसे गुलाब जामुन और बर्फी बहुत पसंद है। मैं उसके खर्चे के लिए पैसे भी देता हूं। मैं उसके पापा से कह चुका हूं कि छोरी को हाथ भी लगाया तो देख लेना।’
मैंने पूछा कि ये बताओ अब आगे क्या करोगी। उसका जवाब था, ‘अब मैं थक गया हूं , मैं लता की शादी कर रहा हूं। मैं उसके लिए लडक़ा ढूंढ कर उसकी शादी कर दूंगा।’
ये कहकर प्रिया कुछ देर के लिए शांत हो गई।

शादी में दहेज बनकर चली जाऊंगी
मेरे फोन पर बार-बार नाम पुकारने के बाद उसने कहा कि मैं अगर उसे अपने घर लेकर आता हूं तो घरवाले धमकी देते हैं कि फांसी लगा लेंगे। मैं क्या कर सकता हूं?
मैंने पूछा कि लता की शादी के बाद तुम क्या करोगी और तुम्हारे प्यार का क्या होगा? वो कहती हैं, ‘मैं उसके साथ दहेज में चला जाऊंगा। कहूंगी कमाता तो हूं बस दो समय की रोटी चाहिए।’
जब मैंने लता से पूछा कि तुम क्या करोगी, वो बोली जो प्रिया बोलेगी मैं बस वही करूंगी। जून महीने को प्राइड मंथ के तौर पर मनाया जाता है। प्राइड मंथ यानी समलैंगिक लोगों के अधिकारों और उनके अस्तित्व को पहचान देने का, जश्न मनाने का महीना।
राजस्थान में रहने वाली ये दो दलित लड़कियां इस प्राइड मंथ के बारे में न कुछ जानती हैं और न ही उनके लिए ये शायद मायने रखता है क्योंकि उनके जीवन की ख़्वाहिश सिर्फ साथ रहने की है जिससे वो कोसों दूर हैं।

30 साल का बेमिसाल साथ
लेकिन गुजरात के अहमदाबाद में पिछले तीन दशकों से साथ रह रहे दिब्येंदु गांगुली और समीर सेठ अपने तीस वर्षों के सफऱ को बेमिसाल बताते हैं।
वे कहते हैं इतने सालों में न जाने कितने लोगों की शादियां टूट जाती हैं, रिश्तों में कड़वापन या उदासीनता आ जाती है लेकिन हम एक साथ हैं। दिब्येंदु बताते हैं कि उनमें और समीर में उम्र का फासला है लेकिन वो कभी उन दोनों के बीच मुद्दा नहीं बना।
दिब्येंदु कोलकता से आते हैं और समीर गुजरात के रहने वाले हैं। नौकरी के सिलसिले में दिब्येंदु अहमदाबाद आए और फिर यहीं बस गए। दोनों ही अपनी पहली मुलाकात को पहली नजर का प्यार बताते हैं और उस तारीख को याद करते वक्त इन दोनों की ही आवाज में एक मिठास सुनाई देती है।
ये पूछने पर कि क्या उन्हें अपनी पहचान को लेकर कभी कोई परेशानी नहीं हुई?

पहचान को लेकर समस्या
दिब्येंदु कहते हैं कि, ‘मैं 12वीं के बाद पढ़ाई करने के लिए कोलकता से निकल गया। 14-15 साल का रहा होऊंगा तब अपनी इच्छाओं के बारे में मुझे पता चल रहा था लेकिन कन्फ्य़ूज़ था। उस जमाने में न इंटरनेट था न सेक्स एजुकेशन के बारे में जानकारी थी तो आप अंधेरे में ही तीर मार रहे होते हैं।’
वे बताते हैं, ‘मेरे संबंध फीमेल पार्टनर के साथ बने लेकिन फिर मुझे ये जाकर साफ हुआ कि मेरी केवल लडक़ों से ही संबंध बनाने में रूचि है। क्योंकि में 12वीं के बाद ही आगे की पढ़ाई के लिए कोलकता से बाहर निकल गया तो माता-पिता से इस बारे में बात नहीं हुई। समीर से अहमदाबाद में मुलाकात हुई। हम साथ रहने लगे। इस बीच पिता का निधन हो गया। मां मुझसे मिलने अहमदाबाद आईं। वो समझ गईं और बोलीं समीर ठीक है और तुम्हारा बहुत ध्यान रखता है। कोई मेरा मज़ाक उड़ा रहा हो या कुछ ताना दे रहा हो वैसा मैंने कभी महसूस नहीं किया।’
समीर के भी ऐसे ही अनुभव रहे। वे कहते हैं मुझे अपने मम्मी-पापा को मनाने में थोड़ा वक्त लगा। पापा ने कुछ नहीं कहा लेकिन मां कुछ कहती नहीं थी पर मैं उनकी ख़ामोशी समझता था।
मैं बस उन्हें यही कहता था, ‘मां सोचो कि अगर तुम्हारी बेटी होती और उसकी शादी मेरे जैसे आदमी से होती तो क्या वो खुश रहती या तुम सुकून से रह पाती। मैं लडक़े के साथ ही खुश रह सकता हूं और लडक़ी से शादी नहीं कर सकता अगर तुम ऐसा करोगी तो दो जिंदगियां बर्बाद करोगी। वो धीरे-धीरे मेरी इस बात को समझीं और अब हम इतने साल से एक साथ रह रहे हैं और मेरे माता-पिता भी हमारे पास आते जाते रहते हैं।’
दिब्येंदु और समीर कहते हैं कि उन्हें समाज क्या बोलता है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हम ये जानते हैं कि हम एक साथ हैं, खुश हैं और आगे भी ये सिलसिला जारी रहेगा।
दिब्येंदू और समीर जैसी कई कहानियां अपने मुकाम पर पहुंची हैं पर लता और प्रिया जैसी कई कहानियां अभी भी एक किनारा तलाश रही हैं या अधूरी रह गई हैं। (bbc.com/hindi)

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