विचार / लेख

इसरायली गुण्डई के खिलाफ फिलिस्तीन के साथ
15-May-2021 5:43 PM
इसरायली गुण्डई के खिलाफ फिलिस्तीन के साथ

-बादल सरोज

गाजा पट्टी पर जारी इसरायली हवाई हमलों में बहुत से फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं। 1948 के बाद से फिलिस्तीन की जमीन पर यहूदीवादी-जिओनिस्ट-कैंसर की तरह बढ़ते बढ़ते अब इस इलाके में बचे फिलिस्तीनियों की सबसे सघन बसाहट यहीं बची है। गाजा पट्टी, जिसे जंगखोर और युद्द अपराधी इसरायल  ने 2006 से जमीन, समुद्र और हवाई नाकाबंदी में जकड़ा हुआ-दुनिया की सबसे सघन आबादी इलाके में से एक है। करीब 20 लाख फिलिस्तीनी मुस्लिम, ईसाई, यहूदी फिलिस्तीनी इस छोटे से इलाके में रहते है। 

यह हमला 2014 के बाद का सबसे भीषण हमला है। यह यहूदीवादी इसरायल और धर्मनिरपेक्ष फिलिस्तीन के बीच में युद्ध नहीं है, यह फिलिस्तीनियों को पूरी तरह मिटा देने के लिए किया गया दुष्ट राज्य-रोग स्टेट-इजरायल है। 

इसरायली की मंशा पूर्वी यरूशलम पर पूरी तरह से कब्जा करने की है। ऐसा करने के लिए वह फिलिस्तीनियों  पर हमले कर रहा है।  इस  हमले की शुरुआत नजदीक की बस्ती शेख जर्राह में  रहने वालों को जबरन निकालने की इसरायली कोशिशों के खिलाफ उठी आवाज को कुचलने से हुई। हालांकि बाद में खुद इसरायली सुप्रीम कोर्ट ने इन बेदखलियों पर फिलहाल रोक लगा दी थी। मगर हमले जारी हैं। बेदखली की ये कोशिशें, फिलिस्तीनियों को बेदखल करके उनकी जगह यहूदी बसाहटें कायम करने की राह हमवार करने के लिए की जा रही हैं।

पूर्वी यरूशलम दुनिया के तीन धर्मों से जुड़ा ऐतिहासिक शहर है। एक किलोमीटर से भी कम दायरे में तीनो धर्मो के जन्म और उनके पैगम्बरों के साथ जुड़ाव के महत्वपूर्ण तीर्थ हैं।  ईसामसीह को यहीं सूली पर चढ़ाया गया था और ईसाई मान्यताओं के हिसाब से यहीं वे पुनर्जीवित हुए थे।

मक्का, मदीना के बाद इस्लाम का यह तीसरा सबसे  पवित्र धार्मिक स्थल है। इस्लाम धर्म की घोषणा यहीं हुयी थी और इस्लामिक मान्यताओं के हिसाब से पैगम्बर हजरत मोहम्मद यही से खुदा के पास गए थे।  यहूदी धर्म का प्राचीनतम टेम्पल भी  पहाड़ी हैं। इस तरह साफ़ हो जाता है कि फिलिस्तीन पर हमलों का किसी भी तरह के धार्मिक विवाद से कोई संबंध नहीं है-यह सीधे सीधे फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा कर उसे अपना उपनिवेश बनाने की साजिश है।    

इसरायली सेनाओं ने इनमे से एक ऐतिहासिक स्थल अल अक्सा मस्जिद  पर धावा बोला है।  इस हमले में रमजान के महीने के दौरान,  प्रार्थना कर रहे सैकड़ों लोग घायल हुए हैं ।

हाल में हुए कई चुनावों में इजरायल का प्रधानमंत्री नेतन्याहू बहुमत हासिल करने में बार बार विफल रहा है। अपने क्षुद्र राजनीतिक लाभ के लिए और कोविड महामारी के प्रकोप  से जनता को बचाने में अपनी सरकार की विफलता  पर  पर्दा डालने के लिए, ये हमले किए  जा रहे हैं। नेतन्याहू सरकार द्वारा लागू की जा रही रंगभेदी नीतियां इस कोरोना महामारी के बीच भी जारी हैं। इसरायल के कब्जे वाले भूभाग में रह रहे फिलिस्तीनियों के साथ टीका लगाने के मामले में भी भेदभाव किया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपने पूरे इतिहास में जितने प्रस्ताव इसराइल की करतूतों और  मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ पारित किये हैं उतने किसी और मामले में नहीं किए-इजरायल की यह बर्बरता सारे अंतरराष्ट्रीय कानूनों और पारित किए गए विभिन्न  प्रस्तावों को अंगूठा दिखाना है। भारत की जनता और  भारत सरकार हमेशा इजरायल के खिलाफ और फिलिस्तीनी जनता के समर्थन में रहा है। इन हमलों के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है। मौजूदा सरकार की चुप्पी शर्मनाक है-भारत की आम स्वीकृति वाली विदेश नीति का निषेध है।

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