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अस्पताल में संक्रमित मरीज भर्ती, परिजन फुटपाथ पर सोने को मजबूर
08-May-2021 8:45 PM
अस्पताल में संक्रमित मरीज भर्ती, परिजन फुटपाथ पर सोने को मजबूर

नई दिल्ली, 8 मई | देश में बढ़ती कोरोना महामारी ने एक बार फिर लोगों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है। जिधर एक तरफ अस्पताल में संक्रमित मरीज भर्ती है तो उनके परिजन अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर ही सोने को मजबूर हैं। हालांकि इस तरह परिजन खुद को संक्रमित कर अपनी जान खतरे में डाल रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार लोगों से घरों में रहने की बात कर रही है तो दूसरी ओर मरीज की चिंता में बेबस परिजन सड़कों पर लावारिस हालात में पड़े हुए हैं। 

दिल्ली के अस्पतालों के बाहर परिजनों को अपने मरीज के पास रुकने का कोई उपाय नहीं मिला तो फुटपाथ पर ही अपने लिए जगह ढूंढली है। दिन हो या रात परिजन फुटपाथ पर ही अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।

कुछ मरीज 20 दिनों से फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं, तो कुछ दिल्ली से सटे दूसरे राज्यों से आकर रुक रहे हैं।

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं। लेकिन मरीज के परिजनों ने अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर ही अस्थाई व्यवस्था कर ली है। मच्छरो से बचने के लिए मच्छर दानी टांगी हुई है, तो लेटने के लिए बिस्तर लगा रखा है।

दिल्ली के करावल नगर निवासी अनिता एलएनजेपी अस्पताल के बाहर फुटपाथ पर चादर बिछा आराम कर रही है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि, "20 दिन से अधिक समय से हम यहां रुके हुये हैं, दिन में हम महिलाएं रुकती हैं और रात में घर के अन्य पुरुष आकर फुटपाथ पर सोते हैं।"

दरअसल अनिता की बहन कोरोना संक्रमण के चलते एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती हैं। फिलहाल परिजनों के अनुसार उनकी हालत बेहतर है।

अनिता की तरह ही अन्य मरीजों के परिजन फुटपाथ पर ही सोने पर मजबूर हैं। आस पास गेस्ट हाउस न होना वहीं आर्थिक तंगी से परेशान परिजन इसी तरह अपना गुजर कर रहे हैं।

यूपी के रहने वाले सौरव नोएडा में काम करते हैं, हालांकि उनकी पत्नी का कोरोना संक्रमण का इलाज एलएनजेपी अस्पताल में चल रहा है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि, "30 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया था तब से मैं इसी फुटपाथ पर रुक रहा हूं। हालांकि रात होते ही मैं नोएडा चला जाता हूं क्योंकि अगले दिन पत्नी के लिए खाना बनाकर लाना होता है।"

"रात में फुटपाथ पर रुकना सुरक्षित भी नहीं है इसलिए मैं और इधर नहीं रुकता। एक दो बार अज्ञात लोगों ने एक व्यक्ति का मेरे सामने की मोबाइल छीन लिया, तबसे डर भी लगता है।"

सौरव के अनुसार, कोई न कोई आकर अस्पताल के बाहर खाना वितरित करता है लेकिन वो बस एक ही वक्त का होता है। तीनों वक्त का खाना बाहर खाने के लिए आपकी आर्थिक स्थिति भी ठीक होनी चाहिए।

ये हाल एलएनजेपी अस्पताल का ही नहीं बल्कि दिल्ली के कई अन्य अस्पताल के बाहर परिजन इसी तरह रुकने को मजबूर हैं।  (आईएएनएस)

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