राजनीति
लखनऊ , 2 दिसम्बर । समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कोरोना वैक्सीन न लगवाने के साथ ही वैक्सीन को भाजपा की बताने वाले बयान पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने कहा कि अखिलेश विश्व के वैज्ञानिकों के साथ-साथ चिकित्सकों के प्रयास पर सवाल उठा रहे हैं। इसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद ने अपने बयान में कहा कि कोरोना वैक्सीन को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बेहद ही बचकाना बयान दिया है।
मौर्य ने कहा कि विश्व के नामचीन वैज्ञानिक तथा चिकित्सक वैश्विक महामारी को परास्त करने में लगे हैं। दवाओं पर शोध हो रहा है, जबकि वैक्सीन भी तैयार कर ली गई है। ऐसे में अखिलेश यादव बयान दे रहे हैं कि मैं भाजपा की वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा। उनको ऐसे बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए।
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने शनिवार को एलान करते हुए कहा कि भारत में कोरोनावायरस की वैक्सीन आने के बाद भी उसको नहीं लगवाएंगे।
समाजवादी पार्टी कार्यालय में मीडिया से बातचीत में अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की वैक्सीन पर उनको भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि ये टीका तो भाजपा वालों का है। मैं इस पर कैसे विश्वास कर सकता हूं, 2022 में जब हमारी सरकार आएगी तो सबको फ्री कोरोना वैक्सीन मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम भाजपा की वैक्सीन नहीं लगवाएंगे।
अखिलेश यादव ने कहा कि देश मे कोरोना वायरस का संक्रमण कहीं पर भी नहीं है। भाजपा ने तो सिर्फ विपक्ष को डराने के लिए इसका भय फैलाया है। (आईएनएस)
नई दिल्ली, 2 जनवरी | आम आदमी पार्टी (आप) के नवनियुक्त पंजाब सह-प्रभारी राघव चड्ढा शनिवार सुबह पंजाब के मोगा पहुंचे। यहां उन्होंने किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले माखन खान और गुरबचन सिंह के घर जाकर इन परिवारों को आर्थिक सहायता दी। राघव ने कहा, "32 वर्षीय माखन खान और 80 साल के गुरबचन सिंह अपने हक की लड़ाई लड़ते हुए कुर्बान हो गए। वे केंद्र सरकार द्वारा थोपे गए 3 कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे। अगर सरकार ने थोड़ी संवेदनशीलता दिखाई होती तो आज इस परिवार के लिए स्थिति कुछ और होती, मोगा में इन घरों में शोक का माहौल नहीं होता।"
गुरबचन सिंह 3 दशकों से किसान यूनियन के सदस्य थे। पिछले दो महीने से वह एक कंपनी के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। 30 नवंबर, 2020 को उनकी दुखद मृत्यु हो गई।
माखन खान की मृत्यु 14 दिसंबर 2020 को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान हुई जहां वो 26 नवंबर से लगातार कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। यहां दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
चड्ढा ने दोनों परिवारों को आर्थिक सहायता देने के बाद कहा, "यूं तो कोई भी आर्थिक सहायता इन दोनों बहादुर किसानों को वापस नहीं ला सकती, लेकिन हमने अपनी तरफ से परिवार को भावनात्मक और आर्थिक सहारा देकर उन्हें ये बताया है कि वे अकेले नहीं हैं। आम आदमी पार्टी किसानों के लिए लड़ना बंद नहीं करेगी, हम झुकेंगे नहीं।"
राघव ने आगे कहा, "पंजाब के अमृतसर, जालंधर और संगरूर के 3 किसानों ने गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राम माधव को लीगल नोटिस भेजे हैं। उन्होंने बिना शर्त किसानों से माफी मांगने और किसानों के खिलाफ बोले गए अपने अपमानजनक शब्द वापस लेने की मांग की है।"
लीगल नोटिस में कहा गया है कि भाजपा नेताओं की ये टिप्पणियां एक सोची-समझी साजिश है। किसानों को कलंकित कर इस आंदोलन को बदनाम और कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। (आईएएनएस)
श्रीनगर, 31 दिसंबर | जम्मू एवं कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि सत्ताधारी पार्टी एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक विरोधियों को नीचा दिखाने के लिए एक औजार के रूप में कर रही है। पत्र में लिखा है, "मेरी जानकारी में आया है कि प्रवर्तन निदेशालय कश्मीर से विभिन्न व्यक्तियों को बुला रहा है, शायद ईसीआईआर/16/ एचआईवी/2020 के सिलसिले में। इन व्यक्तियों को जोड़ने वाला एकमात्र सामान्य सूत्र यह प्रतीत होता है कि वे सभी मेरे परिचित हैं, मेरे परिवार या मेरी राजनीति पार्टी से जुड़े हुए हैं। इन व्यक्तियों पर सवाल उठाना मेरे, मेरे व्यक्तिगत, राजनीतिक और वित्तीय मामलों पर भी केंद्रित है। मेरे दिवंगत पिता के कब्र और स्मारक, मेरी बहन की संपत्ति, गृह निर्माण, मेरे भाइयों की संपत्ति और व्यक्तिगत मामलों पर सवाल किया जा रहा है। हाल ही में, पीडीपी का एक प्रमुख व्यक्ति, जिसे डीडीसी चुनावों में कश्मीर के लोगों ने जिताया है, उस वहीद पारा को एनआईए ने गिरफ्तार किया था, चुनावों की पूर्व संध्या पर, मेरे कई रिश्तेदारों और पार्टी नेताओं को जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा गैरकानूनी हिरासत में रखा गया था।"
उन्होंने पत्र में लिखा है, "मैं आपको सूचित करना चाहती हूं कि एक जिम्मेदार नागरिक और राजनेता के रूप में, एक पूर्व मुख्यमंत्री और संसद सदस्य, और इस देश में सबसे शानदार सार्वजनिक व्यक्तित्व में से एक की बेटी, मैं किसी भी एजेंसी द्वारा किसी भी सवाल का सामना करने के लिए तैयार हूं। लेकिन मैं इस प्रक्रिया की वैधता पर जोर दूंगी।"
महबूबा ने पत्र में आगे लिखा है, "मैं आपका ध्यान इसलिए पीएमएलए, 2002 की धारा 21 (2) की ओर आकर्षित करती हूं और आपको निजता के अधिकार, लोकतांत्रिक राजनीति के अधिकार और वास्तव में उचित प्रक्रिया के अधिकार के बारे में भी सूचित करती हूं। आपको आगे ध्यान में रखना है कि यदि आप मुझसे पूछताछ करने का इरादा रखते हैं या मेरे इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल उपकरणों या मेरे परिवार के सदस्यों की जांच करते हैं, तो आप इसे केवल अपने या मेरे प्रतिनिधि की उपस्थिति में और निष्पक्ष/न्यायिक प्राधिकरण की देखरेख में करेंगे।"
उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है, "मैं कानून, अच्छे आचरण या संवैधानिकता के मानदंडों को मानती हूं, मैं इस मामले को कानूनी और राजनीतिक रूप से उठाने में संकोच नहीं करूंगी।" (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 31 दिसंबर | केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ केरल सरकार के प्रस्ताव को समर्थन देने पर विवादों में घिरे भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में स्पीकर ने प्रस्ताव के समर्थन और विरोध के बारे में ठीक से पूछा ही नहीं था। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रेल, रक्षा और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री रहे राजगोपाल ने कहा कि उन्होंने सदन के भीतर प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया था और अध्यक्ष ने विशेष रूप से यह नहीं पूछा था कि कौन इसका समर्थन कर रहा है और कौन इसका विरोध।
हालांकि, दिन में इससे पहले विधानसभा के मीडिया रूम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने सदन में सर्वसम्मति के कारण कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन किया था।
उनके इस रुख से पार्टी और उसके समर्थकों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है, हालांकि पार्टी के नेताओं ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वे इस बारे में राजगोपाल से बातचीत करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने थोडुपुझा में मीडियाकर्मियोंसे कहा कि उन्हें राजगोपाल के स्टैंड के बारे में पता नहीं है और हम इसका अध्ययन करने के बाद वापस इस बारे में बताएंगे।
भाजपा के प्रदेश महासचिव एम.टी. रमेश ने कहा कि उन्होंने अनुभवी नेता से प्रस्ताव का समर्थन करने की उम्मीद नहीं की थी, और उनसे बातचीत के बाद वह इस बारे में जवाब देंगे।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, "भाजपा राज्य में अपना स्थान बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। हालांकि इस एक बयान से राजगोपाल ने हमारी कोशिशों पर पानी फेर दिया है।"
राजगोपाल के स्पष्टीकरण के बाद भी, पार्टी में कई नेता और कार्यकर्ता भी उनके तर्क से संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं।
आरएसएस-भाजपा के एक कर्मठ कार्यकर्ता रमेश मेनन ने आईएएनएस को बताया, "राजगोपालजी एक वरिष्ठ नेता हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लाए गए प्रस्ताव को समर्थन देकर वो राज्य की जनता को क्या संदेश देना चाहते हैं?" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 31 दिसंबर | भारतीय जनता पार्टी ने तीन सह संगठन महामंत्रियों के दायित्व में अहम फेरबदल किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस फेरबदल के दौरान राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। तीनों पदाधिकारी पूर्व में आरएसएस के प्रचारक रह चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष की ओर से की गई नियुक्तियों के मुताबिक, मौजूदा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी. सतीश को संगठक की जिम्मेदारी मिली है। इसके साथ ही वह संसदीय कार्यालय समन्वय, एससी-एसटी मोर्चा समन्वय और विशेष संपर्क की जिम्मेदारी देखेंगे। जबकि दूसरे राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री सौदान सिंह अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है। सौदान सिंह का केंद्र चंडीगढ़ होगा। वह हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ पर ध्यान देंगे। जबकि राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश का केंद्र भोपाल होगा। अब वह पश्चिम बंगाल के साथ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की जिम्मेदारी देखेंगे। (आईएएनएस)
महोबा, 30 दिसंबर | उत्तर प्रदेश के महोबा जिला में पुलिस ने बुधवार को 'गाय बचाओ, किसान बचाओ' यात्रा निकाल रहे कांग्रेस के नेताओं पर लाठीचार्ज किया। पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) कालू सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने यात्रा के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी और उन्होंने प्रतिबंधात्मक आदेशों का उल्लंघन किया।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष तुलसीदास लोधी ने कहा कि पार्टी के कई नेता और कार्यकर्ता लाठीचार्ज में घायल हो गए हैं।
उन्होंने पुलिस पर पार्टी कार्यकर्ताओं पर अत्यधिक बल प्रयोग कर उन्हें तितर-बितर करने का आरोप लगाया।
इस बीच, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) के प्रमुख अजय कुमार लल्लू ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर बताया कि उनके साथ एक अपराधी की तरह व्यवहार किया जा रहा है।
लल्लू ने कहा कि इससे पहले, उन्हें योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा 48 बार गिरफ्तार किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 30 दिसंबर | ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को तत्काल हटाने की मांग की। राज्य सरकार और धनखड़ के बीच कानून-व्यवस्था, बंगाल में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भूमिकाओं से लेकर प्रशासनिक कामकाज को लेकर वाद-विवाद रहा है।
पत्र में, राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन ने राज्यपाल कार्यालय के शपथ के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने राष्ट्रपति को इस मामले पर एक ज्ञापन भेजा।
रॉय ने कहा, "हमने एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव में विफल रहे हैं और बार-बार सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानून का उल्लंघन किया गया है।"
रॉय के अलावा, तृणमूल के लोकसभा सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय, कल्याण बनर्जी, काकोली घोष दस्तीदार और राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ज्ञापन के अन्य हस्ताक्षरकर्ता हैं, जिन्होंने धनखड़ को कार्यालय से हटाने की मांग की है।
इससे पहले कांग्रेस सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने भी राज्य में शांति भंग करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए धनखड़ को तत्काल पद से हटाने की मांग की थी। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 30 दिसंबर | हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी गठबंधन को एक और अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा है। गठबंधन को बुधवार को प्रदेश में दो नगर निगमों में महापौर की सीट पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को एक नगरीय निकाय में जीत मिली। सोनीपत नगर निगम में विपक्षी कांग्रेस ने महापौर का पद जीता, जबकि पंचकूला नगर निगम में भाजपा की जीत हुई।
अंबाला नगर निगम में कांग्रेस के बागी विनोद शर्मा की हरियाणा जन चेतना पार्टी ने जीत दर्ज की।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुलभूषण गोयल ने कांग्रेस की उपिंदर कौर अहलूवालिया को 2,057 वोटों के अंतर से हराकर पंचकूला के महापौर का चुनाव जीता। गोयल को 49,860 वोट मिले, जबकि अहलूवालिया को 47,803 वोट मिले।
अंबाला में हरियाणा जन चेतना पार्टी की शक्ति रानी शर्मा ने भाजपा की वंदना शर्मा को 7000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया।
महापौर सीट के लिए कांग्रेस के निखिल मदान ने सोनीपत में भाजपा के उम्मीदवार ललित बत्रा को 13,818 वोटों से हराया।
हालांकि रेवाड़ी नगर परिषद में अध्यक्ष पद पर भाजपा ने जीत दर्ज की। भाजपा की पूनम यादव ने निर्दलीय उपमा यादव को 2,087 मतों से हराया। इस सीट पर कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।
उकलाना नगरपालिका चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार सुशील साहू ने भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के उम्मीदवार महेंद्र सोनी को हराकर अध्यक्ष का चुनाव जीता।
सांपला में पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार पूजा ने भाजपा उम्मीदवार को हराकर अध्यक्ष पद के लिए जीत दर्ज की।
रेवाड़ी जिले में धारूहेड़ा नगर समिति चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार कंवर सिंह निकटतम प्रतिद्वंद्वी और भाजपा उम्मीदवार संदीप बोहरा को 632 मतों से हराकर अध्यक्ष बने।
सिंह को 3,048 वोट मिले, जबकि बोहरा को 2,416 और जेजेपी के मान सिंह को 1,657 वोट मिले।
रविवार को हुए नगर निकाय चुनावों में लगभग 60 प्रतिशत मतदान हुआ था।
भाजपा ने रेवाड़ी की नगरपालिका परिषद के लिए अध्यक्ष उम्मीदवार के अलावा, तीनों नगर निगम सीटों पर मेयर पद के लिए उम्मीदवारों को खड़ा किया था।
इसने वार्ड चुनाव भी लड़ा, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने तीनों निगमों का मेयर चुनाव और रेवाड़ी का नगरपालिका चुनाव लड़ा।
जेजेपी के उम्मीदवारों ने अध्यक्ष पद के लिए धारूहेड़ा और उकलाना नगरपालिका क्षेत्रों में अपनी किस्मत आजमाई।
केंद्र की ओर से किसानों पर किए गए कथित अत्याचारों के विरोध में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने नगर निगम चुनावों का बहिष्कार किया था।
अक्टूबर 2019 में राज्य में सत्ता में आने के बाद से भाजपा-जेजेपी गठबंधन की यह दूसरी हार है।
पिछले महीने सोनीपत जिले की बरौदा विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार इंदु राज नरवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त को 10,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। (आईएएनएस)
पटना, 30 दिसंबर | बिहार में मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के जदयू के 17 विधायकों के संपर्क में रहने के दावे को जदयू के पूर्व अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिरे से नकार दिया। नीतीश कुमार ने बुधवार को पत्रकारों के इस संबंध में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि सब बेबुनियाद बातें हैं।
बिहार के इको पार्क में बन रहे जलाशय का निरीक्षण करने पहुंचे नीतीश कुमार ने कहा, "कोई भी अगर किसी प्रकार का दावा कर रहा है, सब बेबुनियाद है। उसमें कोई दम नहीं है। ऐसी कोई बात नहीं है।"
इससे पहले, राजद नेता और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कहा कि जदयू के कई विधायक भाजपा की कार्यशैली से नाराज हैं। जिस प्रकार भाजपा हावी हो रही है और फैसले ले रही है, उससे जदयू के विधायक परेशान हैं। ये लोग भाजपा को हावी नहीं होने देना चाह रहे हैं, ऐसे में 17 विधायक राजद के संपर्क में हैं।
रजक ने दावा करते हुए कहा कि जदयू के 17 विधायक उनके सपर्क में हैं, जो नीतीश कुमार की सरकार गिराना चाहते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 दिसंबर | कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने चीनी सागर में फंसे 41 भारतीय नाविकों को स्वदेश नहीं लाने के लिए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया और घर लौटने में उनकी मदद करने का आग्रह किया। पार्टी के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, "भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को अपनी 'दृष्टि से बाहर और दिमाग से बाहर' अप्रोच से बाहर निकलना चाहिए। नाविकों के परिवार काफी तनाव में हैं। हमारे नाविकों को घर वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने फंसे नाविकों के मुद्दे को चीन के समक्ष कितनी बार उठाया है।"
शेरगिल उस खबर पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें बताया गया था कि दो जहाजों में सवार 41 भारतीय नाविक चीनी सागर में फंसे हुए हैं। इनमें से एक जहाज एमवी जग आनंद 23 भारतीय नाविकों के साथ जून के बाद से जिंगटांग बंदरगाह में फंसा हुआ है, और एक अन्य जहाज अनसेतासिया बोहाई सागर में फंसा हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच तनातनी के बीच दोनों जहाजों को चीनी बंदरगाहों पर एंकर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सूत्रों ने कहा कि कोयला से लदे चीन गए एमवी जग आनंद को चीनी अधिकारियों ने कोयला उतारने की अनुमति नहीं दी। चीनी अधिकारी शिपिंग कंपनी को रिप्लेसमेंट क्रू भी भेजने की अनुमति भी नहीं दे रहे हैं। (आईएएनएस)
मुंबई, 30 दिसंबर | राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एकनाथ खडसे बुधवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) के समक्ष पेश नहीं हुए, 14 दिन की मोहलत मांगी। उन्होंने बयान जारी कर यह जानकारी दी। दो महीने पहले भारतीय जनता पार्टी छोड़ने वाले खडसे को ईडी ने पुणे भूमि सौदे के मामले की जांच के सिलसिले में 30 दिसंबर को सुबह बुलाया था।
उन्होंने हालांकि कहा कि वह बुधवार को ईडी कार्यालय जाने की योजना बना रहे थे, लेकिन वह पिछले कुछ दिनों से कोरोना के लक्षणों जैसा बुखार, सर्दी, सूखी खांसी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हैं।
बयान के अनुसार, "डॉक्टरों की सलाह पर, मैंने कोरोना टेस्ट भी करवाया है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार है। मैंने इस बारे में ईडी को सूचित किया है और उन्होंने मुझे 14 दिनों के लिए आराम करने की अनुमति दी है।"
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार होने के बाद, वह ईडी कार्यालय को रिपोर्ट करेंगे और जांच में पूरा सहयोग करेंगे।
इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत भी मंगलवार को ईडी के समक्ष पेश नहीं हुई थीं और 5 जनवरी तक का समय मांगा था। (आईएएनएस)
सैय्यद मोजिज इमाम जैदी
नई दिल्ली, 30 दिसंबर | कांग्रेस को साल 2020 में अपनी ही पार्टी में दो बगावतों का सामना करना पड़ा। मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस साल मार्च में एक सफल विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके बाद कांग्रेस सरकार गिर गई और भाजपा विधानसभा में कांग्रेस को बहुमत मिलने के महज 15 महीने बाद ही सरकार बनाने में सफल रही।
इस साल कांग्रेस के लिए राजस्थान में लगभग ऐसी ही स्थिति पैदा हो गई थी, मगर अहमद पटेल ने समय पर हस्तक्षेप करके सरकार को गिरने से बचा लिया।
मध्यप्रदेश में एक तरफ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच दूरियां बढ़ीं तो वहीं दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावती तेवर सामने आने लगे। सिंधिया के समर्थकों ने पार्टी को हाशिए पर छोड़ते हुए मध्यप्रदेश में राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले अपना पाला बदल लिया, जो कि कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हुआ और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जल्द ही एक बार फिर राज्य की सत्ता संभालने का मौका मिल गया।
मध्यप्रदेश में विद्रोह दो मार्च को शुरू हुआ, जब कांग्रेस 10 असंतुष्ट कांग्रेस विधायक और उनके सहयोगी हरियाणा के एक होटल पहुंचे और कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए भाजपा नेतृत्व से संपर्क किया। इस दौरान चार असंतुष्ट विधायकों ने बेंगलुरू में डेरा डाल लिया। भाजपा के संपर्क में आए सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ने का फैसला किया।
कांग्रेस ने इस दौरान किसी तरह से सरकार बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाने की कोशिश की, लेकिन पार्टी के प्रयास काम नहीं आए और 18 दिनों के गतिरोध के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई और भाजपा ने प्रदेश में सरकार बनाई।
हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए, लेकिन विधायकों के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनावों में जीत के बावजूद वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए।
इसी तरह से राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी इस साल राज्य में विद्रोह का नेतृत्व किया, लेकिन समय पर पार्टी में चल रही तनातनी की स्थिति को संभाल लिया गया और यहां कांग्रेस सरकार गिरने से बच गई।
राजस्थान कांग्रेस के भीतर लड़ाई स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा टैप किए गए फोन कॉल जारी करने के बाद शुरू हुई, जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री पायलट के बीच बढ़ रही दरार चर्चा का केंद्र बन गई। एसओजी की ओर से बुलाए जाने के बाद पायलट अपने वफादार विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गए और कांग्रेस ने दो बार उनसे विधायक दल की बैठक में भाग लेने की अपील की, लेकिन सब व्यर्थ रहा। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह भाजपा की राजस्थान में कांग्रेस विधायकों और निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में लाकर सरकार को गिराने की योजना है।
अहमद पटेल के समय पर हस्तक्षेप ने राजस्थान में सरकार को बचा लिया और कांग्रेस ने सचिन पायलट की शिकायतों पर ध्यान देने और संकट को दूर करने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया। इससे बाद सचिन पायलट ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और विस्तार से अपनी शिकायतें व्यक्त कीं।
विद्रोह के बाद कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष के पद से पायलट को हटा दिया। हालांकि राजस्थान कांग्रेस में उथल-पुथल अभी खत्म नहीं हुई है, क्योंकि पायलट खेमा अपने समर्थकों को मंत्रिपरिषद, सिविक बोर्ड और निगमों में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज कराने पर जोर दे रहा है। (आईएएनएस)
कोलकाता, 29 दिसंबर | पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि तृणमूल कांग्रेस 2021 में विधानसभा चुनाव जीतेगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमला करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, "आप कुछ विधायकों को खरीद सकते हैं, लेकिन आप तृणमूल कांग्रेस को नहीं खरीद सकते हैं। जनता पर पार्टी छोड़ कर जाने वालों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि लोग हमारे साथ हैं।"
ममता ने मंगलवार को मेगा रोडशो आयोजित करने से पहले बोलपुर के जंबुनी मैदान में एक पार्टी की बैठक की।
उसने कहा कि बाहरी लोग बंगाल में आ रहे हैं और रवींद्रनाथ टैगोर और नजरुल इस्लाम के जीवन दर्शन का अपमान कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "बंगाल की संस्कृति को नष्ट करने के लिए षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। मैं वास्तव में बुरा महसूस करती हूं, जब मैं विश्व भारती में सांप्रदायिक राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को देखती हूं।"
उन्होंने कहा, "ये लोग बंगाली ऑइकन के बारे में नहीं जानते हैं, फिर भी उन पर टिप्पणी कर रहे हैं। भाजपा के अखिल भारतीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म शांति निकेतन में हुआ था। यह गुरुदेव का अपमान है, क्योंकि रवींद्रनाथ ने अपने जन्म के 60 साल बाद शांति निकेतन की स्थापना की थी।"
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग महात्मा गांधी और देश के अन्य प्रतीकों का सम्मान नहीं करते हैं, वे 'सोनार बांग्ला' की बात कर रहे हैं। (आईएएनएस)
प्रमोद कुमार झा
नई दिल्ली, 29 दिसंबर | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने नये कृषि कानूनों के विरोध करने वाले किसान संगठनों से बुधवार को सरकार के साथ होने वाली वार्ता के दौरान हां या ना में जवाब मांगने की हठधर्मिता को त्यागकर सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत करने की अपील की है।
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी नये कृषि कानूनों के प्रबल समर्थक हैं और उनका कहना है कि इन कानूनों से आने वाले समय में किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। वह कहते हैं मोदी सरकार ने किसानों की खुशहाली के लिए ही ये कानून लागू किए हैं।
नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे किसानों की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच बुधवार को छठे दौर की वार्ता होने जा रही है। इस वार्ता से पहले आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कैलाश चौधरी ने कहा किसानों से जुड़े प्रमुख मसलों पर बातचीत की।
आईएएनएस ने कृषि राज्यमंत्री से जानना चाहा कि किसान यूनियन के साथ कल (बुधवार) की वार्ता में किन मसलों पर सरकार किसानों के साथ समझौता करने को तैयार होगी? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों के बाद किसान इस बात से परेशान हो गए कि उनको आगे फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलेगा या नहीं, लेकिन सरकार की तरफ से पहले भी यह स्पष्ट किया जा चुका है कि एमएसपी पर फसलों की खरीद जारी रहेगी और सरकार किसानों को फिर यह भरोसा दिलाएगी कि नए कानून से एमएसपी पर कोई असर नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि एपीएमसी सिस्टम को भी कमजोर नहीं होने दिया जाएगा। मौजूदा मंडी सिस्टम जारी रहेगा और एपीएमसी मंडी के बाहर भी कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री का विकल्प मौजूद रहेगा। किसानों की एक चिंता न्यायिक अधिकार को लेकर भी है। मौजूदा समय में एसडीएम और ट्राइब्यूनल तक ही अपील की इजाजत है। किसान इसे सिविल कोर्ट तक ले जाने की बात कह रहे हैं। ऐसे में सरकार की ओर से इस पर भी विचार हो सकता है। सरकार किसानों की आशंकाओं के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुले दिमाग से वार्ता करने और विचार करने को सहमत है। सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद प्रक्रिया को जारी रखने, सुधारने और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री से आईएएनएस ने पूछा कि क्या तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस लेने पर विचार करेगी? इस पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विभिन्न कार्यक्रमों एवं वक्तव्यों में अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं। सरकार पहले भी कह चुकी है और फिर एक बार विरोध कर रहे किसान संगठनों से आग्रह करेगी कि हां या ना में जवाब मांगने की हठधर्मिता त्यागकर सौहार्दपूर्ण माहौल में शंकाओं के समाधान की दिशा में आगे बढ़ें। भारत सरकार भी साफ नीयत और खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
एमएसपी की गारंटी देने के लिए नया कानून बनाने को लेकर पूछे गए सवाल पर कृषि राज्यमंत्री ने कहा कि एमएसपी को बरकरार रखा जाएगा। साथ ही राज्यों के अधिनियम के अंतर्गत संचालित मंडियां भी राज्य सरकारों के अनुसार चलती रहेंगी। नए कृषि कानून किसानों को मार्केटिंग के विकल्प देकर उन्हें सशक्त बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भ्रम फैलाने की कोशिश की है कि एमएसपी पर खरीद खत्म हो जाएगी, जो कि पूरी तरह असत्य है। किसानों के पास मंडी में जाकर लाइसेंसी व्यापारियों को ही अपनी उपज बेचने की विवशता क्यों, अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। खेती-किसानी में निजी निवेश से होने से तेज विकास होगा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। (आईएएनएस)
मुंबई, 29 दिसंबर | शिवसेना सांसद संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से जारी किए गए समन पर एजेंसी के समक्ष मंगलवार को पेश नहीं हुई और इसके लिए उन्होंने समय की मांग की। ईडी ने उन्हें पीएमसी बैंक से जुड़े मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था। राउत ने कहा, "हमने चार और दिनों की मांग की है। हम केंद्रीय एजेंसियों का पूरा सम्मान करते हैं।"
पार्टी के एक अधिकारी ने कहा कि राउत परिवार ने कथित तौर पर ईडी से 5 जनवरी तक का समय मांगा। हालांकि राउत ने पहले कहा था कि उनकी पत्नी को कोई नोटिस नहीं मिला है।
राउत ने कहा, "मैंने नोटिस नहीं देखा है। यह मेरे पास नहीं है।"
ईडी नोटिस को भाजपा के 'राजनीतिक प्रतिशोध' का हिस्सा बताते हुए राउत ने स्पष्ट किया कि वो एक विधायक, एक राज्यसभा सदस्य हैं और हमेशा कानून का सम्मान करते हैं, जबकि कुछ लोगों ने इसे बंधक बना लिया है और कार्रवाई से बचने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।
इस बीच, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष किरीट सोमैया ने ईडी के नोटिस के मुद्दे पर दूसरे दिन राउत की खिंचाई की।
उन्होंने कहा, "यह ईडी का तीसरा समन है। संजय राउत का परिवार ईडी के सामने पेश नहीं हो रहा है। वे इससे भाग क्यों रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि ईडी पीएमसी बैंक, एचडीआईएल, संजय राउत के परिवार और प्रवीण राउत के परिवार के बीच करोड़ों रुपये के लेन-देन की जांच कर रहा है और पूछा कि 'दोनों राउत परिवारों के बीच ये विशेष संबंध किस तरह के हैं?' (आईएएनएस)
कोलकाता, 29 दिसंबर | भाजपा नेता सुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को पूर्वी मिदनापुर के नंदीग्राम में एक भव्य रोड शो किया और दावा किया कि उनके पुराने विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने तृणमूल कांग्रेस छोड़ने और भाजपा में शामिल होने के उनके फैसले का समर्थन किया है। तेन्गुआ से नंदीग्राम तक के रोड शो के दौरान लोगों ने फूल-मालाओं और झंडों से सुभेंदु अधिकारी का अभिवादन किया।
सुभेंदु ने रैली में कहा, "मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया, जिसका लोगों ने स्वागत किया है। मैंने पश्चिम बंगाल विधानसभा से इस्तीफा दे दिया और लोगों ने इसका स्वागत किया। मैं अब भाजपा में शामिल हो गया हूं, जिसका नंदीग्राम के लोगों ने पूरा समर्थन दिया है।"
इससे पहले, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि वह 7 जनवरी को नंदीग्राम में एक रैली आयोजित करेंगी, लेकिन रामनगर के तृणमूल विधायक अखिल गिरी कोरोना पॉजिटिव पाए गए, जिसके कार्यक्रम को आगे के लिए टाल दिया गया है।
अधिकारी की रैली 8 जनवरी को होने वाली थी। लेकिन तृणमूल ने जब अपना कार्यक्रम टाला तो, उन्होंने नई रणनीति के तहत इसे पहले कर दिया।
अधिकारी ने कहा, "मैं एक ईमानदार ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया हूं। मैं जो भी करता हूं, बहुत ईमानदारी के साथ करता हूं। मुझे अपने धर्म पर भरोसा है। और जब मैं एक जनप्रतिनिधि हूं, तो पूरी ईमानदारी के साथ अपनी भूमिका निभाता हूं।"
तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि नंदीग्राम में रैली करने की बात करने वाले अचानक गायब हो गए हैं।
उन्होंने कहा, "मैं अपनी बात रखता हूं। मैं 8 जनवरी को एक रैली फिर करूंगा, जिसमें 1,00,000 से ज्यादा लोग होंगे।"
अधिकारी ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और 19 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में पश्चिम मिदनापुर के कॉलेज मैदान में एक रैली में भाजपा में शामिल हो गए थे। (आईएएनएस)
रांची, 29 दिसंबर | झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को अपने कार्यालय में एक साल पूरा कर लिया। इस अवसर पर, रांची के मोराबादी मैदान में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां मुख्यमंत्री ने 1,710.26 करोड़ रुपये की 171 योजनाओं का उद्घाटन किया और 1,529.06 करोड़ रुपये की लागत वाली 59 योजनाओं का शिलान्यास किया।
उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "जब मैंने राज्य की कमान संभाली थी, तब राज्य के खजाने खाली थे। हर विभाग कर्ज में डूबा हुआ था। सरकारी कर्मचारियों को वेतन देने संबंधी एक मुद्दा लंबित था। मैं वादा करता हूं कि राज्य को अगले पांच वर्षो में किसी से मदद लेने के लिए हाथ नहीं बढ़ाना पड़ेगा। केंद्र सरकार और विश्व बैंक से भीख मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।"
सोरेन ने कहा, "यह गंभीर सोच का विषय है कि एक सरप्लस राज्य घाटे में चला गया और पिछले 20 वर्षो में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोई गंभीर विचार नहीं दिया गया।"
सोरेन ने कहा, "ऐसे कई राज्य हैं, जहां कोयला, बॉक्साइट, खदानें नहीं हैं, जो हमारे राज्य में बहुतायत में हैं। इन सभी संसाधनों के बावजूद, हम एक पिछड़े राज्य हैं। राज्य में ऐसे खिलाड़ी हैं जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर नाम और शोहरत कमा रहे हैं। कला और संस्कृति क्षेत्र में बहुत सारे अवसर हैं, लेकिन कोई काम नहीं किया गया।"
इस अवसर पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन, कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आर.पी.एन. सिंह, मंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। (आईएएनएस)
शिमला, 29 दिसम्बर | हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की पत्नी शैलजा का मंगलवार तड़के दिल का दौरा पड़ने से एक अस्पताल में निधन हो गया। डॉक्टरों ने कहा कि इससे पहले वह जांच में कोरोना पॉजिटिव निकली थीं। उनका कांगड़ा जिले के टांडा में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज में उनके पति और परिवार के सदस्यों के साथ इलाज चल रहा था। उन्हें 27 दिसंबर को भर्ती कराया गया था, जहां वह अपने पति, सुरक्षाकर्मी और अन्य स्टाफ के साथ कोरोना पॉजिटिव पाई गई थीं।
डॉक्टरों ने कहा कि एक दिन पहले वायरस की वजह से उनकी हालत खराब हो गई थी। उन्हें गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में शिफ्ट करने की कोशिश की गई थी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार 1977 और 1990 में हिमाचल के मुख्यमंत्री बने थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार से उनके स्वास्थ्य का हालचाल लिया था।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने शोक संदेश में कहा कि राज्य ने एक एजुकेशनलिस्ट लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता को खो दिया है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज के कमजोर वर्गो के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शैलजा को एक महान आत्मा और आध्यात्मिक झुकाव वाले आदर्श गृहिणी के रूप में वर्णित किया। (आईएएनएस)
भारत में विभिन्न राज्यों में जारी राजनीतिक हिंसा के बीच त्रिपुरा की बीजेपी सरकार ने 2018 से पहले प्रांत में राजनीतिक हिंसा के शिकारों के परिजनों को रोजगार देने की पहल की है. परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी का लिखा-
त्रिपुरा, 28 दिसंबर | त्रिपुरा में 2018 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा लगातार हिंसा के लिए सुर्खियों में रहा है. राज्य में खासकर विपक्षी वामपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं व पत्रकारों पर हमले लगातार तेज हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल में जहां पार्टी सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा के आरोप लगाती रही है वहीं त्रिपुरा में जारी हिंसा पर उसने चुप्पी साध रखी है. वैसे, राजनीतिक हिंसा भारत में नई नहीं है. लेकिन हाल के वर्षों में धर्म के आधार पर तेजी से बढ़ते धुव्रीकरण की वजह से यह लगातार तेज हो रही है. अब हालत यह है कि ज्यादातर राज्य इसकी चपेट में हैं. वह चाहे पूर्वोत्तर के सातों राज्य हों या फिर केरल या कर्नाटक. तमिलनाडु में भी अक्सर ऐसी हिंसा की खबरें सामने आती रही हैं.
अब लगातार बढ़ती राजनीतिक हिंसा के बीच बिप्लब देव के नेतृत्व वाली त्रिपुरा सरकार ने वर्ष 2018 से पहले यानी लेफ्ट के शासनकाल के दौरान राजनीतिक हिंसा में मारे लोगों के एक-एक परिजनों को सरकारी नौकरी देने का एलान किया है. देश के विभिन्न राज्यों में बढ़ती राजनीतिक हिंसा के बीच त्रिपुरा सरकार का यह फैसला अपनी किस्म का पहला तो है. लेकिन इस पर भी सवाल उठ रहे हैं. विपक्ष का आरोप है कि इस योजना के जरिए खासकर भगवा पार्टी के समर्थकों और कार्यकर्ताओं को उपकृत करना ही सरकार का मुख्य मकसद है. दूसरी ओर, सीपीएम ने राज्य में हिंसा के लगातार तेज होने के मुद्दे पर सरकार की खिंचाई की है. पार्टी ने इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है.
सरकार की योजना
त्रिपुरा सरकार ने उन लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने का फैसला किया है जो वर्ष 2018 में मार्च से पहले राजनीतिक हिंसा में मारे गए हैं. उस समय विपक्ष में रही बीजेपी सत्तारुढ़ लेफ्ट पर अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप लगाती रही थी. कानून मंत्री रतन लाल नाथ बताते हैं, "नौ मार्च, 2018 से पहले राज्य में होने वाली हिंसा में बड़े पैमाने पर लोगों की मौत हुई थी. बीजेपी के सत्ता में आने के बाद ऐसे तमाम परिवार सरकार से आर्थिक सहायता या सरकारी नौकरी की गुहार लगा रहे थे. सरकार को ऐसे सैकड़ों आवेदन मिले हैं.” इन आवेदनों के निपटारे के लिए सरकार ने कानून मंत्री के नेतृत्व में एक छह-सदस्यीय समिति का गठन किया था. पहले दौर में आवेदन करने वाले दस में से सात लोगों को नौकरी के योग्य पाया गया है. सरकार का कहना है कि इस कोटे के तहत नौकरी के लिए आवेदकों का कम से कम आठवीं पास होना अनिवार्य है. नाथ बताते हैं, "जो लोग शैक्षिक योग्यता पर खरे नहीं उतरेंगे उनको आर्थिक सहायता देने पर विचार किया जाएगा. इस योजना के तहत नौकरी पाने के लिए जिलाशासक के जरिए आवेदन भेजना होगा. उसके बाद समिति उन पर विचार कर अपनी सिफारिशें सरकार को सौंपेगी.”
यह योजना त्रिपुरा के गठन के बाद से नौ मार्च 2018 तक यानी बीजेपी के सत्ता में आने से ठीक पहले तक हुई मौतों के मामले में लागू होगी. वैसे, इस योजना के तहत नौकरी पाने की शर्तें आसान नहीं होंगी. रतन लाल नाथ के मुताबिक, "ऐसे परिवार में किसी एक को ही नौकरी दी जाएगी. इसके अलावा परिवार में दूसरा कोई कमाने वाला नहीं होना चाहिए. आवेदक के परिवार के बाकी सदस्यों के हस्ताक्षर वाला अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) भी आवेदन के साथ संलग्न करना होगा." इसके अलावा संबंधित पुलिस अधीक्षक से इस बात की पुष्टि की जाएगी क्या परिवार के व्यक्ति की मौत राजनीतिक हिंसा में ही हुई थी. बीजेपी की युवा शाखा ने इससे पहले बीते 11 नवंबर को राजधानी अगरतला में रैली निकाल कर पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन सौंपा था. इसमें राजनीतिक हत्या के तमाम पुराने मामलों को दोबारा शुरू कर सरकार को रिपोर्ट सौंपने की मांग की गई थी.
विपक्ष का आरोप
विपक्षी सीपीएम ने सरकार की इस योजना पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि इसका मकसद बीजेपी के लोगों को सरकारी नौकरियां देना है. इस योजना की आड़ में सरकार भगवा पार्टी के काडरों को सरकार में भरना चाहती है. सीपीएम के वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा सदस्य जितेंद्र चौधरी कहते हैं, "इस योजना में इतनी शर्तें थोप दी गई हैं कि आम आदमी के लिए उसे पूरा करना संभव नहीं है. इसके अलावा उससे संबंधित दस्तावेज जुटाने में भी भारी परेशानियों का सामना करना होगा.” पार्टी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ही राज्य में राजनीतिक हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है और लेफ्ट के नेताओं व कार्यकर्ताओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है.
जितेंद्र चौधरी बताते हैं कि 24 दिसंबर की रात को सीपीएम के तीन नेताओं पर हमले हुए. लेकिन इन मामलों में पुलिस अब तक एक भी हमलावर को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इसी तरह एक सप्ताह पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता पवित्र कर के आवास पर ही उन पर हमला हुआ था. लेकिन पुलिस या प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है. सीपीएम का आरोप है कि राजनीतिक हिंसा पर मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब की चुप्पी से हमलावरों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं. इस हिंसा में लेफ्ट कार्यकर्ताओं व नेताओं के अलावा आम लोग भी पिस रहे हैं. विपक्ष ने चेतावनी दी है कि अगर इस हिंसा पर अंकुश नहीं लगाया गया तो बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू किया जाएगा. लेकिन सरकार पर उसकी चेतावनी का कोई असर फिलहाल नहीं नजर आ रहा है. (dw.com)
नई दिल्ली, 28 दिसम्बर | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 136वें स्थापना दिवस के अवसर पर सोमवार को नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने किसानों की आवाज बुलंद करने के लिए तथा किसानों की पीड़ा को उजागर करने के लिए तिरंगा मार्च का आयोजन किया। तिरंगा मार्च एनएसयूआई कार्यालय से शुरू होकर जंतर मंतर पर जाकर समाप्त हुआ, जिसमें एनएसयूआई के सैकड़ो कार्यकर्ताओं ने किसानों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की।
एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन ने मीडिया से कहा, "एनएसयूआई का धरना प्रदर्शन सरकार को एक संदेश भेजने का इरादा रखता है कि अगर वे भारत के लोगों की बात नहीं मानते हैं, तो हम उनकी सरकार के खिलाफ विद्रोह करेंगे।"
एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ उनके कथित पूंजीवादी दोस्तों के लिए काम करने का आरोप लगाते हुए नारे लगाए।
कुंदन ने कहा कि तिरंगा मार्च भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को याद दिलाता है कि उन्हें अपने गंदे राजनीतिक एजेंडे और खेल को रोकने और राष्ट्र के कल्याण के लिए कुछ करने की जरूरत है।
कुंदन ने कहा कि सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेना ही होगा।
एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने 480 फीट लंबे झंडे के साथ पार्टी मुख्यालय में इसका स्थापना दिवस मनाया, जिसमें 1885 से लेकर वर्तमान समय तक के सभी कांग्रेस अध्यक्षों के नाम और चित्र दिखाई दे रहे थे।
इससे पहले दिन में पार्टी के वरिष्ठ नेता ए. के. एंटनी ने पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अनुपस्थिति में पार्टी मुख्यालय में झंडा फहराया। (आईएएनएस)
चेन्नई, 28 दिसंबर | द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) ने सोमवार को चुनाव आयोग से अनुरोध किया कि वह तमिलनाडु सरकार को पोंगल उपहार के लिए मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी की तस्वीर लगे टोकन वितरित न करने का निर्देश दे। राज्य सरकार ने इससे पहले 2,500 रुपये के पोंगल उपहार और 'केवल चावल' राशन कार्ड धारकों के लिए चावल, गुड़, काजू, इलायची, पूरा गन्ना और अन्य वस्तुएं देने की घोषणा की थी।
द्रमुक के अनुसार, राशन की दुकानों से पोंगल उपहार की प्राप्ति के लिए तारीख और समय अंकित टोकन ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) सदस्यों द्वारा वितरित किए जाते हैं।
द्रमुक ने कहा कि पलानीस्वामी और अन्य मंत्रियों की तस्वीरें लगी होने से ऐसा आभास होता है कि उपहार राज्य सरकार नहीं, बल्कि सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के नेता अपनी ओर से दे रहे हैं।
चुनाव आयोग को लिखे पत्र में द्रमुक के संगठन सचिव आरएस भारती ने कहा, "पोंगल गिफ्ट नकद सरकार के कोष से दिया जाता है, सत्ताधारी दल के फंड से या मुख्यमंत्री या मंत्रियों की जेब से नहीं दिया जाता। लेकिन सार्वजनिक कार्यक्रम में इस तरह टोकन जारी किए जा रहे हैं, जैसे मुख्यमंत्री और मंत्री अपनी तरफ से पोंगल उपहार दे रहे हों।"
भारती ने कहा, "हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु में इस समय आदर्श आचार संहिता लागू नहीं है, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के लिए मुख्यमंत्री और मंत्रियों के नामों के साथ उनकी तस्वीर लगे पोंगल मुफ्त उपहार टोकन जारी किया जाना उचित नहीं है, क्योंकि इससे निष्पक्ष चुनाव की मूल अवधारणा प्रभावित होगी।
तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव 2021 में होना है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 28 दिसंबर | केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 31 दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की सिफारिश पर अपनी सहमति दे दी है। इस सत्र में राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पेश करेगी। विशेष सत्र को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन के बीच पिछले कुछ दिनों से टकराव की स्थिति नजर आ रही थी। राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव के बाद आखिरकार विशेष सत्र बुलाने का रास्ता साफ हो गया है।
इससे पहले, राज्यपाल ने 23 दिसंबर को सदन का विशेष सत्र बुलाने में कोई रुचि नहीं दिखाई थी और उन्होंने कहा था कि इसकी कोई तत्काल जरूरत नहीं है।
राज्यपाल की ओर से 23 दिसंबर को सदन का सत्र बुलाए जाने से इनकार के बाद राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच वाक्युद्ध छिड़ गया था। इसके अलावा मंत्री ए.के. बालन और वी.एस. सुनील कुमार भी राज्यपाल से उलझ गए थे।
मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन ने विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार की सिफारिशों पर आपत्ति के खिलाफ राज्यपाल को पत्र लिखा था।
इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी पत्र भी लिखा था।
हालांकि अब राज्यपाल ने दिसंबर और साल के आखिरी दिन विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी दे दी है। (आईएएनएस)
लखनऊ, 28 दिसंबर | केंद्र सरकार के नए कृषि बिल पर मचे बवाल के बीच योगी सरकार के टॉप ब्यूरोक्रेट्स अब गांव-गांव किसानों का हाल-चाल लेने पहुंच रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी ने राज्य में किसानों का सुख दुख जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर यूपी की टॉप ब्यूरोक्रेसी को उतार दिया है। जिसके तहत मुख्यमंत्री ने धान और गन्ना खरीद, गोआश्रयों की हकीकत का पता लगाने को लेकर सूबे के सभी 75 जिलों में वरिष्ठ आईएएस अफसरों को नोडल अफसर बनाकर भेजा है।
अब मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिलों में पहुंचे अधिकारी ठंड की परवाह किये बिना सुबह से ही गन्ना एवं धान खरीद केंद्रों तथा निराश्रित गोआश्रम स्थलों का निरीक्षण कर रहें हैं। राज्य में यह पहला मौका है, जब सूबे के सीनियर आईएएस अफसरों को सभी 75 जिलों का नोडल अफसर बनाकर भेजा गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर 27 से 29 दिसंबर तक यह अधिकारी जिलों में रुकेंगे। इस दौरान यह नोडल अफसर जिलों में गन्ना-धान खरीद केंद्र व निराश्रित गोशालाओं का भी निरीक्षण करके वहां की समस्याओं को जानेंगे। फसलों की सिंचाई, नहरों में पानी की उपलब्धता, बिजली आपूर्ति, वरासत अभियान तथा पुलिस संबंधी शिकायतों की भी समीक्षा करेंगे। इन अफसरों को धान खरीद में किसी तरह की शिकायत व जांच में पुष्टि होने पर जिम्मेदार कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के भी निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर चिन्हित किये गए जिलों में तीन दिन रुक कर अब यह अधिकारी धान क्रय केंद्रों, गन्ना खरीद केंद्रों तथा गोआश्रय स्थलों का दौरा कर लोगों की समस्याओं को सुन रहे हैं। मौके पर ही किसानों की समस्याओं का निदान किया जा रहा है। यही नहीं नोडल अधिकारी जिले में गोआश्रय स्थलों की व्यवस्था, विशेष वरासत अभियान, विद्युत आपूर्ति और किसानों को उपलब्ध कराई जा रही सिंचाई सुविधा की भी समीक्षा कर रहे हैं। कुल मिलाकर बीत रहे साल के अंतिम दिनों में कड़ाके की ठंड में किसान के द्वार पर पहुंच कर सरकार के आला अफसर किसानों की समस्याओं की जानकारी कर उसका निदान कर रहें हैं। इसके तहत ही अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी शाहजहांपुर में निराश्रित गोआश्रम का निरीक्षण किया, वो धान क्रय केंद्र पर भी गए और किसानों से उनकी दिक्कतों के बारे पूछा।
इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव हेमंत राव ने औरैया में धान क्रय केंद्र का दौरा किया। अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बरेली में वैक्सीनेशन की तैयारियों की समीक्षा की और प्रतिदिन तीन हजार लोगों के सैंपल लेकर जांच करने का निर्देश दिया। उन्होंने विदेश से आने वालों की कोविड जांच करने का भी निर्देश दिया और अस्पताल में भर्ती मरीजों से मिले। मरीजों से उन्होंने पूछा कि डॉक्टर आपका ख्याल रख रहे हैं या नहीं। बहेड़ी के धान खरीद केंद्र का भी उन्होंने निरीक्षण किया और उसके बाद समीप के गुड्वारा गांव में सरकारी स्कूल में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की समस्याओं को भी उन्होंने सुना। इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव गन्ना एवं चीनी उद्योग संजय भूसरेड्डी, प्रमुख सचिव डिंपल वर्मा तथा कानपुर के मण्डलायुक्त राजशेखर ने भी धान खरीद केंद्र का निरीक्षण किया और वरासत अभियान की प्रगति की जानकारी ली। ग्रामीणों की समस्याओं के बारे में भी इस अफसरों के जानकारी प्राप्त की।
फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर ग्रामीणों के बीच कड़ाके की ठंड में पहुंचे सूबे की आला अफसरों को धान खरीद केंद्रों पर अपने बीच में देखकर सूबे के किसान हतप्रभ हैं, क्योंकि इसके पहले कोई बड़ा अधिकारी धान खरीद केंद्रों पर नहीं आता था। लेकिन आज धान खरीद केंद्रों पर सूबे के आला अफसरों ने किसान की छोटी बड़ी दिक्कतों के बारे में पूछा। फसलों की सिंचाई, नहरों में पानी की उपलब्धता, बिजली आपूर्ति आदि के बारे में भी किसानों से जानकारी प्राप्त की। इसी क्रम में पुलिस संबंधी शिकायतों के बारे में भी ग्रामीणों से फीडबैक लिया। कुल मिलकर मुख्यमंत्री के इस फैसले की ग्रामीणों के बीच सराहना हो रही है।
बरेली जिले के नोडल अधिकारी अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल में बहेड़ी में धान खरीद सेंटर का निरीक्षण किया। किसानों से भी बात की। जिस पर किसानों ने धान की तौल कम होने के शिकायत की। किसानों ने बताया कि बहेड़ी में धान खरीद के सेंटर कम होने से किसानों को धान तौलवाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। एक हफ्ते में तौल का नंबर आता है। अपर मुख्य सचिव ने डीएम बरेली से धान खरीद के सेंटर बढ़ाने को कहा। उन्होंने धान खरीद के लिए किए गए प्रबंधों को देखने के बाद, गुड़वारा गांव में सरकारी स्कूल में चौपाल लगा कर ग्रामीणों की समस्याओं को भी सुना। ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि उनके गांव में जब से हाइवे बना है, बारिश का गांव में पानी भर जाता है तो परेशानी बढ़ जाती हैं, अगर स्टेट हाइवे वाले फोरलेन रोड के दोनों ओर नाले बनवा दें तो जलभराव की समस्या खत्म हो जाएगी। ग्रामीणों ने बिजली समस्या, सरकारी आवास नहीं मिलने आदि की समस्या भी नोडल अधिकारी के सामने रखी। जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने सीडीओ बरेली से गांव के समस्याओं का निस्तारण करने के आदेश दिए। उसके बाद नवनीत सहगल ने बहेड़ी में बने गोशाला केंद्र व सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया, जिसमें जो भी खामियां मिलीं, उन्हें तुरंत सुधारने के निर्देश दिए। (आईएएनएस)
शिमला, 27 दिसंबर | रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को पिछले तीन वर्षो के दौरान उनकी सरकार की उपलब्धियों की सराहना की। राज्य भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के अवसर पर पीटरहॉफ में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का शानदार उपहार था और यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए एक वरदान साबित हुआ है।
उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकुर को पीएमजीएसवाई के प्रभावी कार्यान्वयन में राज्य को देश में दूसरा सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए बधाई दी।
रक्षामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में समर्पित अटल सुरंग न केवल लाहौल-स्पीति जिले के लोगों को सुविधा प्रदान करेगी, बल्कि सामरिक महत्व की भी देगी।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश को 'वीर भूमि' (योद्धाओं की भूमि) के नाम से जाना जाता है, क्योंकि राज्य के लगभग हर परिवार में एक सेवारत सैनिक या एक पूर्व सैनिक है।
इस मौके पर भाजपा प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा का संदेश भी पढ़ा गया।
समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के तीन साल समाज के हर वर्ग के कल्याण और राज्य के समग्र विकास के लिए समर्पित हैं।
इस अवधि के दौरान राज्य सरकार ने राज्य को देश में सबसे अधिक विकसित बनाने के लिए कई पहल की।
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस महामारी ने सरकार को स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करके इस मेगा कार्यक्रम को अत्यंत सरलता से आयोजित करने के लिए मजबूर किया है।
ठाकुर ने कहा कि राज्य 5.70 लाख लोगों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान कर रहा है। जन शिकायतों के त्वरित निवारण के लिए जन मंच और मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन नंबर 1100 शुरू किए गए हैं।
इस कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने अपने साल में पूरे किए गए कई उपलब्धियों को गिनाया। (आईएएनएस)
चंडीगढ़, 26 दिसम्बर | शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का दोहरा चरित्र एक बार फिर से उजागर हुआ है। शिअद ने सितंबर में राज्य की कोविड रिस्पांस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि एपीएमसी के दायरे से परे निजी 'मंडियां' खोलने के निर्देश देने से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का दोहरा चरित्र सामने आया है।
यहां एक बयान में पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि ऐसे समय में, जब पंजाबी कोविड-19 के संकट का मुकाबला कर रहे हैं, मुख्यमंत्री भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और कॉर्पोरेट क्षेत्र द्वारा तय किए गए एजेंडे के अनुसार काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोविद रिस्पांस रिपोर्ट कार्रवाई के लिए विभिन्न विभागों को भेज दी गई है और इसमें कृषि उपज विपणन समितियों (एपीएमसी) से परे कृषि मार्केटिंग खोलने की आवश्यकता के लिए एक खंड (सेक्शन) शामिल किया गया है।
चीमा ने कहा कि राज्य के किसानों के साथ कोई बड़ा धोखा नहीं किया जा सकता है। अकाली दल के नेता ने मुख्यमंत्री से सफाई मांगते हुए पूछा कि वह पंजाबियों को बताएं कि आखिर उन्होंने मुख्य सचिव को एपीएमसी के दायरे से बाहर 'मंडियों' को खोलने का निर्देश क्यों दिया।
शिअद नेता ने कहा कि अमरिंदर सिंह पंजाब के किसानों के नियमित और निरंतर विश्वासघात के कारण पंजाब का नेतृत्व करने का अपना नैतिक अधिकार खो चुके हैं।
चीमा ने मुख्यमंत्री से दोहरा खेल नहीं खेलने की हिदायत भी दी। (आईएएनएस)