राष्ट्रीय
कटिहार, 22 अप्रैल । पौराणिक और राजनीतिक महत्व रखने वाली कटिहार की धरती पर किसानों की मेहनत से आम के बगान और पोखरों में मखान के पत्ते देखकर आप इस क्षेत्र की समृद्धि का अंदाजा लगा जा सकते हैं। जूट की पहचान वाले इस कटिहार की राजनीतिक समझ भी किसी क्षेत्र से कम नहीं। तभी तो सीताराम केसरी, मोहम्मद यूनुस सलीम, तारिक अनवर जैसे दिग्गज इस क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
इस चुनाव में भी पांच नदियों के किनारे बसे इस कटिहार क्षेत्र में मुकाबला दिलचस्प दिखाई दे रहा है। महागठबंधन की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर को चुनावी मैदान में उतार कर कांग्रेस अपनी खोई जमीन हथियाने की फिराक में है, तो एनडीए ने जदयू के दुलालचंद गोस्वामी को फिर से उतारकर मुक़ाबले को दिलचस्प बना दिया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों के ही बीच मुकाबला हुआ था, जिसमें गोस्वामी भारी पड़े थे और पहली बार सांसद बने थे।
वैसे, आंकड़ों पर नजर डालें तो कटिहार की पहचान तारिक अनवर से होती है। यहां से वे 11 बार चुनाव लड़ चुके हैं और पांच बार विजयी रहे हैं। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर तारिक अनवर ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1984, 1996, 1998 और 2014 में उन्होंने अपना परचम लहराया।
भाजपा के निखिल कुमार चौधरी को भी यहां तीन बार प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। इस चुनाव में तारिक अनवर और दुलारचंद गोस्वामी के बीच सीधा मुकाबला माना जा रहा है।
इसके अलावा कटिहार सीट पर बहुजन समाज पार्टी के गोपाल कुमार महतो, भारत जोड़ो जनता पार्टी से विष्णु सिंह, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया से मरांग हांसदा, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी से राज कुमार मंडल, समाज शक्ति पार्टी से बिंदु कुमारी और निर्दलीय प्रत्याशी भी यहां से भाग्य आजमा रहे हैं।
यहां छह विधानसभा सीट कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी और बरारी हैं। इनमें कटिहार और प्राणपुर में भाजपा, कदवा और मनिहारी में कांग्रेस, बरारी में जदयू और बलरामपुर में सीपीआई एमएल के विधायक हैं।
करीब 21 लाख मतदाताओं वाले सीमांचल की इस सीट पर एक बार फिर महागठबंधन को एम वाई समीकरण पर भरोसा है तो दूसरी तरफ एनडीए को प्रधानमंत्री के चेहरे, पिछड़े और अति पिछड़े, सवर्ण के साथ नीतीश कुमार के नाम पर कुछ मुस्लिम मतदाताओं से भी आसरा है।
यह क्षेत्र पौराणिक महत्व वाला भी माना जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण भी यहां अपने खोए आभूषण को खोजने आए थे। बिहार में सभी सात चरणों के तहत मतदान होना है। बिहार की कुल 40 सीटों में से पहले चरण में चार सीटों पर चुनाव हो चुका है। कटिहार के मतदाता लोकसभा के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान करेंगे।
(आईएएनएस)
आगरा (यूपी), 22 अप्रैल । 79 साल के हसनुराम अंबेडकरी सुर्खियों में छाए हुए हैं। उन्होंने अपना 99वां चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
अंबेडकरी ने अपना पहला चुनाव 1985 में लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाए। अपने पिछले 98 प्रयासों में हार का सामना करने के बावजूद, अंबेडकरी ने चुनावी अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाना जारी रखा है।
इस बार उन्हें फतेहपुर सीकरी से शतक के करीब पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन इस सीट से उनका नामांकन खारिज कर दिया गया।
चुनाव के प्रति उनके जुनून को देखते हुए, अंबेडकरी का परिवार उनके साथ खड़ा है।
एक क्लर्क और मनरेगा मजदूर के रूप में अपना जीवन यापन करने वाले अंबेडकरी कहते है, "चुनाव लड़ना मेरा जुनून है और मैं इसे अपने खर्च पर पूरा करता हूं। मैं किसी से धन की मदद नहीं लेता। मैं जानता हूं कि मैं जीत नहीं पाऊंगा, लेकिन यह मुझे चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकता।''
उन्होंने कहा, "मेरा लक्ष्य 100वीं बार चुनाव लड़ना है और मैं यह भी जानता हूं कि मेरी उम्र बढ़ रही है, लेकिन मैं अपना लक्ष्य हासिल कर लूंगा।"
(आईएएनएस)
ईटानगर, 22 अप्रैल भारत के निर्वाचन आयोग ने अरुणााचल प्रदेश में आठ मतदान केंद्रों पर पुन: मतदान कराने का आदेश दिया है जहां 19 अप्रैल को एकसाथ कराये लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी और हिंसा होने की जानकारी सामने आयी थी।
उप मुख्य निर्वाचन अधिकारी लिकेन कोयु ने एक विज्ञप्ति में कहा कि आयोग ने रविवार को एक आदेश में इन आठ मतदान केंद्रों पर मतदान को अमान्य घोषित किया और 24 अप्रैल को सुबह छह बजे से दोपहर दो बजे तक नए सिरे से मतदान कराने का आदेश दिया।
जिन मतदान केंद्रों में पुन: मतदान कराया जाएगा उनमें ईस्ट कामेंग जिले में बामेंग विधानसभा क्षेत्र में सारियो, कुरुंग कुमे में नयापिन विधानसभा सीट के तहत आने वाला लोंग्ते लोथ, अपर सुबनसिरी जिले में नाचो निर्वाचन क्षेत्र के तहत आने वाले डिंगसर, बोगिया सियुम, जिम्बरी और लेंगी मतदान बूथ शामिल हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, सियांग जिले में रुमगोंग विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले बोग्ने और मोलोम मतदान बूथ पर भी पुनर्मतदान कराया जाएगा।
इस पूर्वोत्तर राज्य में 60 सदस्यीय विधानसभा की 50 सीटों पर 19 अप्रैल को हुए मतदान में कुल 8,92,694 मतदाताओं में से तकरीबन 76.44 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
सत्तारूढ़ भाजपा ने 10 विधानसभा सीटें पहले ही निर्विरोध जीत ली हैं। (भाषा)
अरुणाचल प्रदेश में वोट डालने के लिए महिलाओं में काफी उत्साह रहता है. कई महिलाएं सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके वोट डालने अपने गृहनगर पहुंची हैं. हालांकि उनका यह उत्साह राजनीति के मैदान में उतरने के लिए नहीं दिखता.
डॉयचे वैले पर सोनम मिश्रा की रिपोर्ट-
अरुणाचल प्रदेश में पहले चरण के मतदान है. 2019 के विधान सभा चुनाव में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा भागीदारी दिखाई. चुनाव आयोग के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में कुल 7,94,162 मतदाता हैं, जिसमें से 4,01,601 औरतें और 3,92,561 पुरुष हैं. चुनाव में मतदान के लिए खासतौर से महिलाओं में बहुत उत्साह रहता है.
हालांकि राजनीति में यह तस्वीर बदल जाती है. इस मामले में औरतें काफी पीछे हैं. भूभाग के आधार पर भारत के 14वें सबसे बड़े राज्य में औरतें चुनाव में मतदान करती हुई तो बड़ी संख्या में दिख जाती है, लेकिन सामने आ कर वोट मांगती हुई नजर नहीं आती हैं.
उम्मीद की किरण
एक बात है कि मोटे तौर पर महिलाओं के लिए यहां समर्थन दिखाई देता है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में लोगों से बात करते हुए यह साफ तौर पर महसूस हुआ. तवांग के ओल्ड मार्केट में 30 साल की सोनम, होमस्टे चलाती हैं. उनका मानना है कि अब महिलाएं बीते वर्षो के मुकाबले राजनीति में ज्यादा सक्रिय हो रही हैं. राजनीति में उनकी व्यक्तिगत रुचि नहीं है परन्तु उनका परिवार उनका पूरा समर्थन करता है. ऐसा इसलिए भी है क्यूंकि उनके पिता और ससुर, दोनों ही राजनीति में हैं.
उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर महिलाएं राजनीति में बढ़- चढ़ कर भाग लेती हुई दिखाई देती है. उनकी मित्र और राजनीतिक कार्यकर्ता सोनम नोर्डजिन स्थानीय राजनीति में काफी सक्रिय हैं. उन्हें उम्मीद है कि धीरे धीरे यह रुझान राष्ट्रीय राजनीति पर भी नजर आएगा.
देश ने बनाया रिकॉर्ड लेकिन अरुणाचल रह गया पीछे
1987 में अरुणाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. हालांकि 37 सालों में अरुणाचल की ओर से एक भी महिला राज्य सभा में नहीं पहुंची है. 2019 में जब बीजेपी सरकार ने भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा महिला सांसद उनकी दौर में चुने जाने का दावा करके खूब चर्चा बटोरी तब अरुणाचल से एक भी महिला सांसद नहीं बनी थी.
तवांग के ओल्ड मार्केट में जूते की दुकान चलाने वाले 60 साल के कालूराम नेहरा राजस्थान से हैं और तवांग में रहते है. कालूराम नेहरा को लगता है कि औरतें अब स्थानीय स्तर पर राजनीति में सक्रिय हैं. वह अलग अलग पार्टी के लिए प्रचार भी करते हैं और चुनाव के दौरान बाजार का माहौल भी गर्मजोशी से भरपूर रखते हैं. वह आशा करते है कि इसकी औरतों की मौजूदगी आने वाले समय में राष्ट्रीय राजनीति में भी दिखाई देगी.
राजनीतिक होड़ में गिनी चुनी महिलाएं
विधान सभा में भी महिलाओं की भागीदारी ना के बराबर ही नजर आती है. सिबो काइ पहली महिला थीं, जो 1978 में विधानसभा में चुनी गईं. हालांकि इनको गवर्नर ने चुना था तब अरुणाचल प्रदेश एक केंद्र शासित प्रदेश हुआ करता था.
राज्य का दर्जा मिलने के बाद न्यारी वेल्ली 1980 में पहली चुनी हुई एमएलए बनीं. इसके बाद 1984 में भी वह चुनाव जीती थीं. इनके अलावा 1990 में ओ एम डोरी और कोमोली मोसंग, 1995 में यदप अपांग, 1999 में मेकउप डोलो, 2001 में नियनि नातुंग, 2002 में यारी दुलोम और 2009 में नंग सटी मैन और कार्य बगांग विधान सभा में चुने गए थे.
राजनीतिक उम्मीदवारी या पारिवारिक विरासत
2019 में 60 विधान सभा सीटों में केवल तीन महिलाएं एमएलए बनीं, गुम तायेंग, दसांगूल पुल और जुम्मुम एते देओरि. जुम्मुम, पूर्व राज्यसभा सांसद ओमम मायोंग देओरि की बहु है. जबकि गुम तायेंग, अपने पति और पूर्व एमएलए जोमिन तायेंग की मृत्यु के बाद 2013 के उप चुनाव में निर्विरोध चुनाव जीत गई थीं.
इसके बाद 2014 और 2019 में भी उन्होंने अपनी सीट जीती. दसांगूल, पूर्व मुख्यमंत्री कालीखो पुल की पत्नी है. जाहिर है कि इम महिलाओं के राजनीति में उतरने के पीछे उनकी पारिवारिक विरासत का भी योगदान है.
साल 2024, चीनी कैलेंडर के अनुसार स्त्री ऊर्जा से भरपूर है. हालांकि इस वर्ष भी अरुणाचल की 50 विधान सभा सीटों के लिए केवल 8 उम्मीदवार ही महिलाएं हैं. लोकसभाके लिए कुल 14 उम्मीदवारों में भी केवल एक महिला है.
महिलाओं की हिचकिचाहट और जिम्मेदारियों का बोझ
22 साल की थुप्तेन ल्हामु ईटानगर में पढ़ाई करती है और चुनाव के सिलसिले में तवांग आई हैं. उन्हें लगता है कि कहीं ना कहीं अरुणाचल की महिलाओं में जागरूकता की कमी है. उनका कहना है, "लंबे समय तक बाकी हिस्सों से अलग- थलग रहने के कारण बाकी राज्यों के मुकाबले पहाड़ों की महिलाओं में राजनीतिक जागरूकता कम होती थी. कुछ वर्षों से ही उनको यह जानकारी मिलनी शुरू हुई है." इस जानकारी के लिए वह इंटरनेट को श्रेय देती है.
जागरूकता की कमी के अलावा महिलाओं में एक हिचकिचाहट भी दिखती है. उन्हें डर रहता है कि उनको पुरुषों के बराबर समर्थन मिलेगा या नहीं. यहां की ज्यादातर महिलाएं सब तरह का काम करती हैं. दुकान संभालने से लेकर बच्चे पालने तक के काम में उनकी बड़ी भागीदारी है. यह भी एक वजह है कि महिलाएं समर्थक के रूप में तो सदैव आगे दिखती हैं लेकिन खुद के लिए समर्थन मांगने में नहीं. राजनीति में बहुत समय देना पड़ता है, जिससे उनके बाकी के काम पर असर पड़ता है.
इसके अलावा महिला नेताओं की कमी भी एक वजह है. महिलाओं के सामने कोई रोल मॉडल नहीं है.
हालांकि यह प्रचलन अब बदल रहा है. नई पीढ़ी अपने अधिकारों को लेकर अधिक जागरूक है और राजनीति की ओर उनका रुझान भी साफ देखा जा सकता है. यह झिझक जल्दी दूर होती नहीं दिखती लेकिन आशा की जा सकती है कि भविष्य में राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ अरुणाचल में भी महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी. (dw.com)
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कुछ इलाकों में आजादी के बाद लोगों ने पहली बार लोकसभा चुनाव में वोट डाला है. बीते सालों में सरकार के प्रयासों से लोगों का डर दूर हुआ है.
डॉयचे वैले पर निखिल रंजन की रिपोर्ट-
अछूते जंगल के बीच से गुजरती एक पतली सी सड़क छत्तीसगढ़ में माओवादियों के इरादों पर भारी पड़ी है. आजाद भारत के सबसे लंबे और खूनी विद्रोह को बीते कुछ सालों में बड़ा झटका लगा है. शुक्रवार को जब देश में लोकसभा चुनावके पहले दौर के लिए मतदान शुरू हुआ तो एक छोटे से गांव के लोगों ने पहली बार वोट डाला. डामर की इस नई सड़क ने उन्हें बाहरी दुनिया से जोड़ दिया है. पूरे छत्तीसगढ़ में ऐसे कई गांव हैं.
तेताम गांव के प्रमुख महादेव मकराम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "पिछले राष्ट्रीय चुनाव में यहां कोई सरकार नहीं थी, ना पोलिंग बूथ थे, केवल विद्रोही थे जो सरकार से संपर्क के खिलाफ चेतावनी दे रहे थे." छत्तीसगड़ के सुदूर और जंगल वाले बस्तर जिले का तेताम गांव देश के "रेड कॉरिडोर" के केंद्र में है. यह सरकार से लड़ रहे वामपंथी गुरिल्लों का घर है.
भारत के चुनाव में बढ़ती भागीदारी के बावजूद महिलाओं को टिकट कम
जिले के विद्रोहियों के गढ़ में घुसने में नाकाम रही भारत की सरकार कई सालों तक तेताम के निवासियों को सरकार के नियंत्रण वाले इलाके में आ कर वोट डालने का अनुरोध करती थी. उधर माओवादी ऐसा करने वालों को धमकी देते थे. ऐसे में बहुत कम ही लोग यह खतरा उठा कर वोट डालने आते थे. जो करते थे उन्हें इसका कोई फायदा भी नहीं मिलता था.
मरकाम पहले पूछते थे, "क्यों वोट दें? आखिर कोई घंटों तक जंगल के रास्तों पर चल कर पहाड़ों और झरनों को पार कर के विद्रोहियों के खतरे का सामना क्यों करे? किस लिए? हमारे लिए सरकार ने आखिर किया क्या?" इस साल हालात बदले हुए हैं. तेताम उन 100 से ज्यादा गांवों में एक है जहां पहले विद्रोहियों का नियंत्रण था. 1947 में ब्रिटिश राज खत्म होने के बाद यहां पहली बार लोकसभा के लिए मतदान हुआ है.
पहली बार वोट
बीते कुछ सालों में छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्र और राज्य सरकार ने सुरक्षा बेहतर करने के दिशा में तेजी से काम किया है. जगह जगह पुलिस के कैंप बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही सड़क, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इलाके में सड़क और मोबाइल टावरों के विस्तार में अरबों रुपये खर्च किये हैं.
इलाके में लंबे समय से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहे शुभ्रांशु चौधरी ने डीडब्ल्यू को बताया, "एक पुलिस कैंप से कम से कम पांच वर्ग किलोमीटर का दायरा विद्रोहियों के डर और नियंत्रण से मुक्त हो जाता है." पिछले हफ्ते भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि 2019 से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ में 250 सुरक्षा कैंप बनाए गए हैं.
चौधरी के मुताबिक, "छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित करीब आधा इलाका सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिया है, अभी और सुरक्षा कैंप बनाने की बात की जा रही है जो आने वाले वर्षों में स्थिति को और बेहतर बना सकते हैं." जनवरी से लेकर अब तक कम से कम 80 माओवादी पुलिस और सुरक्षाबल मुठभेड़ में मारे गए हैं. इनमें वो 29 भी शामिल हैं जिन्हें छत्तीसगढ़ के सुदूर इलाके में चुनाव से तीन दिन पहले सुरक्षा बलों ने मार दिया.
चौधरी ने यह भी बताया कि बदलाव की बयार छह महीने पहले विधान सभा चुनाव में भी दिखाई दी थी. उस चुनाव में भी इन इलाकों में पहले से काफी ज्यादा मतदान हुआ था. उन्होंने कहा, "एक प्रक्रिया कुछ सालों से चल रही है, उसका असर अब चुनावों में बढ़े मतदान के रूप में दिख रहा है."
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में वरिष्ठ पत्रकार नरेश मिश्रा ने बताया, "जहां तक वोट देने की बात है तो 2016 से ही हालात बदल रहे हैं. सरकार का ही आंकड़ा है कि विधान सभा चुनाव में 124 बूथों पर पहली बार लोगों ने वोट डाला था. लोकसभा में भी इन बूथों पर पहली बार वोट डालने के लिए लोग आए हैं." हालांकि मिश्रा ने यह भी कहा कि कुछ बूथों पर बहुत उत्साह से मतदान हुआ है. छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक 83 फीसदी मतदान बस्तर जिले में हुआ है जबकि सबसे कम 43 फीसदी बीजापुर में. कुल मिला कर छत्तीसगढ़ में पहले दौर में 68.30 फीसदी मतदान हुआ है जो राष्ट्रीय औसत के 64 फीसदी से काफी ज्यादा है. ये आंकड़े चुनाव आयोग के हैं.
लाल गलियारा
लाल गलियारा या रेड कॉरिडोर के रूप में कुख्यात रहे माओवादी आंदोलन ने 1960 के दशक से ही सिर उठाना शुरू कर दिया था. गरीब और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष के नाम पर शुरू हुए आंदोलन ने बहुत जल्द हिंसक रूप ले लिया जिसके नतीजे में अब तक 10,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. इससे पहले की सरकारों ने जब भी इन गुरिल्लों के खिलाफ अभियान तेज किया उन्हें नुकसान ही उठाना पड़ा. सरकार के प्रति इन इलाकों में स्थानीय लोगों के मन में भी बैर बढ़ता रहा.
नक्सलियों ने अपहरण, जबरन भर्ती, हफ्ता वसूली और मौत की सजा देने जैसे कामों से अपने प्रति लोगों के मन में डर पैदा किया, खासतौर से उन लोगों में जो उनके नियंत्रण वाले इलाकों में थे. यह संघर्ष जब अपने चरम पर था तो एक बड़े इलाके में नक्सलियों ने सरकार को एक तरह से बिल्कुल नकार दिया था. नक्सली इन इलाकों में समांतर क्लिनिक, स्कूल और अपराध न्याय तंत्र भी चला रहे थे.
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर एएफपी से कहा, "पहले विद्रोही गांव वालों से पूछते थे कि क्या कोई सरकार दिखी है. हम तुम्हारे डॉक्टर, टीचर और जज हैं. तब वे सही थे लेकिन अब नहीं. उन्होंने सरकार को खारिज किया लेकिन आखिरकार अब सरकार आ गई." पिछले साल के एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के अभियानों के असर में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 2010 के मुकाबले घट कर 45 हो गई है.
नरेश मिश्रा बताते हैं, "स्थिति में बदलाव कई स्तरों पर दिख रहा है.पहले जिस तरह समांतर स्कूल, क्लिनिक और न्याय तंत्र चल रहा था उसमें काफी कमी आई है. हालांकि माओवादियों के नियंत्रण वाले इलाके बदलते रहते हैं, लेकिन फिर बहुत से इलाके उनके नियंत्रण से बाहर गए हैं. वोट देने पर किसी की उंगली काटने या उसकी जान लेने जैसी घटना तो नहीं होती थी लेकिन उनका डर जरूर रहता था. अब बहुत से इलाकों में वह डर नहीं है."
जमीनी स्थिति में बदलाव
एक सुरक्षा कैंप तेताम गांव के पास भी 2022 में बनाया गया था. इसके साथ ही पहली बार एक सड़क भी गांव तक पहुंची. गांव के लोगों की जिंदगी अब भी पहले की तरह आस पास के जंगलों से मिलने वाली चीजों पर निर्भर है. हालांकि बदलाव की शुरुआत हो गई है.
पिछले 18 महीनों में तेताम के लोगों के पास मोबाइल फोन के कनेक्शन, नेशनल ग्रिड से बिजली, स्वास्थ्य केंद्र और सरकारी राशन की दुकान की सुविधा मिल गई. यहां रहने वाले 1,050 गांववासी पहली बार अपने समुदाय से बाहर के लोगों से जुड़ रहे हैं. बहुत से लोग यहां से थोड़ी दूर पर मौजूद छोटे से शहर दंतेवाड़ा पहली बार गए. यहां की आबादी करीब 20,000 है. तेताम निवासी 27 साल के दीपक मारकाम ने कहा, "शहर सचमुच सुंदर था. वहां बहुत कुछ देखने को था. मुझे उम्मीद है कि एक दिन मेरा गांव भी ऐसा होगा."
हालांकि इस बदलाव के साथ एक समस्या विकास में संतुलन बनाने की भी उभरी है. नरेश मिश्रा बताते हैं कि बड़ी संख्या में कंपनियां इन इलाकों का रुख कर रही हैं और खदान के लिए लाइसेंस हासिल करने की फिराक में हैं. जंगल शहर बन गए तो दूसरी समस्याएं खड़ी हो जाएंगी जो और ज्यादा बड़ी चुनौती ले कर आएंगी. (dw.com)
लखीसराय, 22 अप्रैल । बिहार के लखीसराय जिले के मेदनी चौक थाना क्षेत्र में सोमवार तड़के एक अज्ञात वाहन ने दो मोटरसाइकिलों को टक्कर मार दी। इस घटना में मोटरसाइकिल सवार चार लोगों की मौत हो गई, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया।
पुलिस के मुताबिक, दो बाइक पर सवार होकर पांच लोग पास से ही एक शादी समारोह में भाग लेकर लौट रहे थे। इसी दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर हैबतगंज के पास अज्ञात वाहन ने दोनों बाइकों को टक्कर मार दी। हादसे में मौके पर ही चार लोगों की मौत हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई। मेदनी चौक थाना के प्रभारी सुनील कुमार ने बताया कि मृतकों में पुग्गी यादव, लक्ष्मी महतो, मनीष कुमार, कुणाल कुमार शामिल हैं, वहीं सूरज कुमार जख्मी है।
हादसे के शिकार सभी लोग लखीसराय और मुंगेर के निवासी थे और पास के ही एक गांव में बारात में शामिल होकर लौट रहे थे। ठोकर मारने वाला वाहन भागने में सफल रहा। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 22 अप्रैल । भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र और राहुल गांधी द्वारा 16 मार्च 2024 को महाराष्ट्र में दिए गए भाषण का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि कांग्रेस एससी, एसटी, महिलाओं, गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की संपत्ति को अल्पसंख्यकों में बांटना चाहती है।
भाजपा आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने कांग्रेस के घोषणा पत्र के अंश और राहुल गांधी द्वारा 16 मार्च 2024 को महाराष्ट्र में दिए गए भाषण के वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए आरोप लगाया कि," कांग्रेस का घोषणापत्र 2024 स्पष्ट है। यह विशेष रूप से बताता है कि कांग्रेस जातियों और उपजातियों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना करवाएगी। भारत को अपनी पूरी क्षमता का एहसास कराने के लिए अल्पसंख्यकों का आर्थिक सशक्तिकरण एक आवश्यक कदम है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बैंक बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत ऋण प्रदान करें। अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक रोजगार, सार्वजनिक कार्य अनुबंध, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले।"
मालवीय ने लोगों को यूपीए सरकार के कार्यकाल की याद दिलाते हुए आगे कहा कि,"यह दिन के उजाले की तरह स्पष्ट है कि कांग्रेस हमारी संपत्ति, गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों, एससी, एसटी की संपत्ति, महिलाओं की बचत को छीनना चाहती है और इसे विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के बीच पुनर्वितरित करना चाहती है, जैसा कि यूपीए सरकार चाहती थी। "
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को राजस्थान में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति को घुसपैठियों और उन लोगों को बांट सकती है, जिनके अधिक बच्चे हैं।
( आईएएनएस)
श्रीनगर, 22 अप्रैल । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सोमवार को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में कई स्थानों पर छापेमारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी आतंकवादियों के पाक कनेक्शन का पता लगाने के लिए छापेमारी कर रही है।
सूत्रों ने बताया कि एजेंसी को सूचना मिली है कि आतंकवादियों को पाक से धन प्राप्त हो रहा है। एजेंसी उसी कनेेेेेक्शन का पता लगाने का प्रयास कर रही है। इस संबंध में एक सरकारी अधिकारी का भी नाम सामने आया है। एजेंसी उसके ठिकानों पर भी तलाशी ले रही है।
गौरतलब है कि आतंकवादियों को पाकिस्तान से धन प्राप्त होने की सूचना पहले भी मिलती रही है। मामले में कई लोगोंं को गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
(आईएएनएस)
संतकबीरनगर (यूपी), 22 अप्रैल । निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्य्क्ष डॉ. संजय निषाद पर रविवार देर रात एक शादी समारोह में जानलेवा हमला किया गया। मंत्री ने सपा के समर्थकों पर हमले का आरोप लगाया है।
डॉक्टर संजय निषाद रविवार देर रात एक शादी समारोह में संतकबीरनगर के शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहम्मदपुर कठार गांव में गए थे। इसी दौरान कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में डॉक्टर संजय निषाद घायल हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हमला सपा समर्थकों ने किया।
डॉक्टर निषाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अपनी आसन्न हार को देख समाजवादी पार्टी के लोग बौखला गए हैं। इसी के चलते उन पर हमला किया गया। उन्होंने कहा कि वे हमले से घबराने वाले नहीं हैं। समाजवादी पार्टी को राजनीतिक दृष्टि से जवाब देते रहेंगे। पुलिस हमले की जांच कर रही है। अभी तक मामले में किसी को पकड़ा नहीं जा सका है।
(आईएएनएस)
देहरादून, 22 अप्रैल । गर्मी बढ़ने के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं होने लगी हैं। इससे जहां वन संपदा को भारी नुकसान हो रहा है, वहीं वन्य प्राणियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
कर्णप्रयाग में गौचर के सामने सारी गांव के जंगलो में शनिवार देर रात से आग लगी है। आग के चलते कई हेक्टेयर जंगल जल कर राख हो गया। वहीं, रविवार को जंगल में आग की 22 घटनाएं सामने आईं। इसे मिलाकर इस गर्मी में आग लगने की घटनाएं बढ़कर 373 हो गई हैं। आग से पहाड़ धुआं-धुआं हो रहे हैं।
गढ़वाल में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के आरक्षित वन क्षेत्र में एक, नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क में एक, राजाजी टाइगर रिजर्व में एक, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग में एक और लैंसडाउन वन प्रभाग में आग लगने के दो मामले सामने आए हैं।
इसी प्रकार रामनगर वन प्रभाग में एक, तराई पूर्वी वन प्रभाग में नौ, हल्द्वानी वन प्रभाग में चार और बागेश्वर वन प्रभाग के आरक्षित क्षेत्र में एक मामला सामने आया है।
विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, कुछ जगहों पर आग काबू में नहीं आ पा रही है। वन विभाग के कर्मचारी स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर आग पर काबू पाने के प्रयास में जुटे हैं।
अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, एक नवंबर 2023 से अब तक जंगल में आग की 373 घटनाएं हो चुकी हैं। इससे 436 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
(आईएएनएस)
लखनऊ, 22 अप्रैल । नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए प्रचार में जुटे यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला और कहा कि अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव के बाद हार का सिक्सर लगाने की तैयारी में जुटेंगे। उन्होंने कहा कि चार जून को चार बजे भाजपा चार सौ पार हो जाएगी। केशव प्रसाद ने आईएएनएस से चुनावी मुद्दे पर खुलकर बातचीत की।
पेश है बातचीत के कुछ अंश :
सवाल : पहले चरण का चुनाव बीत गया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने दावा किया है कि इस फेज में आपका खाता नहीं खुलेगा। इस पर क्या कहना है ?
जवाब : अखिलेश जी हार का चौका लगा चुके हैं। 5वीं बार हारने जा रहे हैं। विश्वास कीजिये कि प्रथम चरण के चुनाव में भाजपा आठ की आठ सीटें जीते चुकी हैं और यूपी की 80 की 80 सीटें भी जीतेंगे। चार जून को शाम चार बजे आने वाले चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में होंगे। हम 400 सीटें पार होंगे। यह चुनाव परिणाम आने के बाद अखिलेश द्वारा हार का सिक्सर लगाने की तैयारी शुरू कर दी जाएगी।
सवाल : भाजपा को कहा जाता है कि वह जातीय गुलदस्ता बनाकर चलती है। उस गुलदस्ता में सब कोई समाहित रहता है। लेकिन इस चुनाव में पश्चिमी यूपी में देखा जा रहा है कि सैनी, त्यागी और क्षत्रिय नाराज दिख रहे हैं। इसका क्या असर होगा चुनाव में।
जवाब : कोई नाराज नहीं है। सभी लोग प्रसन्न हैं। जो नाराजगी दिख रही है वह विपक्षी नेताओं के बयान में और मीडिया के सुर्खियों में होगी। लेकिन धरातल की जानकारी जैसे 2017 में मीडिया और विपक्षी नेताओं को नहीं पता चली और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के साथ रालोद जो इन लोगों के साथ था, उसके बाद भी 64 सीटें जीती, तब भी नहीं पता चली। 2022 में 400 पार का नारा देने वाले अखिलेश यादव की साइकिल जब पंचर हो गई तो उनको भी पता नहीं चला। जो 2024 में समर्थन भाजपा को मिल रहा है ऐसा कभी नहीं मिला होगा।
सवाल : जाति विरोध का असर क्या पहले चरण के चुनाव में दिखा ?
जवाब : जो विरोध करने वाले लोग हैं, वो गिने चुने हैं। संपूर्ण समाज न मोदी जी का विरोधी है न भाजपा का। अगर मान लीजिए किसी समाज का एक लाख व्यक्ति है तो उसमें से 10 व्यक्ति विरोध करते हैं बाकि लोग समर्थन में खड़े हैं और नहीं बोलते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि वह समर्थन में नहीं हैं। मतलब ऐसे गिने चुने कहीं विरोध में होंगे तो अपनी निजी स्वार्थों के कारण होंगे। लेकिन बाकी लोग मोदी जी और भाजपा के समर्थन में हैं और जो विरोध में हैं वह भी कमल का बटन ही दबाएंगे।
सवाल : विपक्ष भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का बार-बार आरोप लगा रहा है।
जवाब : देखिए, इस देश में जो जांच एजेंसियां हैं वह अपना काम कर रही हैं। उनके आंकड़ों के हिसाब से केवल 3 प्रतिशत राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े हुए लोग उस जांच के दायरे में हैं। उनके खिलाफ जांच एजेंसियों ने कार्रवाई की है। जांच एजेंसी अंतिम अथॉरिटी नहीं होती है। जांच एजेंसियों की स्थापना भाजपा ने नहीं किया है। यह आजादी के बाद की तत्काल स्थापित एजेंसियां हैं। अब आज कार्रवाई हो रही है वह किसी राजनीतिक दल के नेता और पदाधिकारी हैं या कहीं मंत्री हैं तो उनके अपराध को क्षमा कर दिया जाए तो भारत का संविधान और कानून इसकी अनुमति नहीं देता है। जो गलत करेगा उसे सजा मिलेगी।
सवाल : विपक्ष बसपा को भाजपा की बी टीम होने का दावा करता रहा है। लेकिन इस बार यह चीज देखने को मिली कि मायावती ने जितने उम्मीदवार उतारे हैं वो भाजपा का ही वोटबैंक काट रहे हैं।
जवाब :कोई हमारी टीम नहीं है। भाजपा भाजपा है। विरोधी पार्टियां विरोधी पार्टियां हैं। उनकी पार्टी की ओर से जो उम्मीदवार उतारना चाहें वो उतारें। लेकिन भाजपा अभी 2019 के चुनाव में सपा-बसपा के गठबंधन को धूल चटा चुकी है। इसलिए उनके पार्टी से कौन उम्मीदवार आ रहा है, यह हम लोग नहीं देखते। देश और प्रदेश की जनता सिर्फ एक चीज देख रही है कि हमारे उम्मीदवार सिर्फ नरेंद्र मोदी जी हैं।
सवाल : आप किसी पर व्यक्तिगत आरोप व टिप्पणी नहीं करते, लेकिन जैसे राम गोपाल यादव ने आप पर टिप्पणी की, इस बारे में आप क्या कहते हैं।
जवाब : पीएम मोदी को कांग्रेस ने गाली दी और कांग्रेस मुक्त भारत देश हो गया। अखिलेश यादव हों या उनके चाचा, उनके खिलाफ अपशब्दों को प्रयोग नहीं करूंगा। मैं राष्ट्रीय स्व्यं सेवक संघ का कार्यकर्ता रहा हूं। इसके अलावा मैं ऐसे परिवार से हूं जहां किसी विचार का विरोध किया जाता है, व्यक्तिगत नहीं। मैं उनको सिर्फ इतना कहूंगा कि उस गाली का जवाब जनता कमल का बटन दबाकर देगी।
सवाल : इस बार ध्रुवीकरण का मुद्दा दिख नहीं रहा है।
जवाब : देखिए तुष्टिकरण की राजनीति समाप्त हो गई है। संतुष्टिकरण की राजनीति शुरु हो गई है -- सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास और सबका विश्वास। इसी को लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व देश तीव्र गति के साथ आगे बढ़ रहा है। किसी दल विशेष का तुष्टीकरण का एजेंडा था, वह अब सफल होता नहीं दिख रहा है। जातिवाद की जगह लोगों ने विकास को स्वीकार कर लिया है।
सवाल : विपक्ष द्वारा बार बार यह आरोप लगाया जा रहा है कि आप लोग सत्ता में दोबारा आएंगे तो संविधान बदल देंगे।
जवाब : भाजपा संविधान बदल देगी, यह एक सुनियोजित तरीके से अफवाह फैलाने व गुमराह करने का असफल प्रयास है। भाजपा समान नागरिक संहिता लाएगी। अगर संविधान बदलना है तो यह संविधान में व्यवस्था है कि इस देश में एक देश और एक कानून होना चाहिए। भाजपा सत्ता में आएगी तो एक वोटर लिस्ट और एक चुनाव कराने का काम करेगी। मतलब वन नेशन वन इलेक्शन कराने का काम करेगी। जम्मू कश्मीर से 370 हटाना संविधान बदलना है, तो इस प्रकार के आरोप लगाकर गुमराह कर सकते हैं। दरअसल यह विपक्ष की साजिश है भाजपा को बदनाम करने की। उन्हें डर है कि अगर भाजपा दोबारा सत्ता में आई तो भ्रष्टाचारियों को छोड़ेगी नहीं।
सवाल : कांग्रेस की तरफ से भारी भरकम रोजगार का वादा कर खाली पदों की सूची बताई जा रही है? इस पर क्या कहेंगे ?
जवाब : कांग्रेस झूठ बोलने की ऑटोमैटिक मशीन है। यह झूठ बोलो, अफवाह फैलाओ और गुमराह करो' की नीति का अनुसरण कर रही है और उसी पर चल रही है। जब से स्वतन्त्र भारत के इतिहास में इसने राजनीति शुरू की तभी से झूठ बोल रही है। चुनाव के माध्यम से सत्ता में आने के बाद से कांग्रेस ने जो भी कहा उसने अपने उस वादे को कभी पूरा नहीं किया। इधर, भाजपा जब से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सत्ता में आने के साथ ही 'जो कहा सो किया' के अपने वादे को निभाती आ रही है। इसी कांग्रेस ने राज्यों में चुनाव जीतने के लिए पुरानी पेंशन का वादा किया था और जब घोषणापत्र जारी किया तब पुरानी पेंशन योजना का जिक्र तक नहीं है। इसी कांग्रेस ने 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया था, लेकिन कभी 'गरीबी' नहीं हटाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सब मुद्दों पर कोई नारा नहीं दिया, लेकिन '25 करोड़ लोगों को गरीबी' से बाहर निकालने का काम किया। 'कांग्रेस पार्टी झूठ बोलने की ऑटोमैटिक मशीन है, इसकी मैन्युफैक्चरिंग में ही गड़बड़ी है। कांग्रेस के डीएनए में है कि वह जो वादे करेगी, वह कभी पूरे नहीं होंगे। उनके वादों के पूरा होने की कोई गारंटी नहीं है। इसके उलट, भाजपा जो कहती है, वह करती है। भाजपा बिना कहे खाली पदों को भरेगी। जरूरत के अनुसार नए पद भी सृजित किये जायेंगे। इस देश की युवा पीढ़ी का सम्मान और प्रतिभा का सदुपयोग भाजपा सरकार में ही हुआ है। भाजपा ही आगे भी युवा शक्ति का सदुपयोग करने में सक्षम है। कांग्रेस के पास तो विपक्ष का नेता पद पाने के लिए भी सांसदों की संख्या नहीं होंगे। 2014 और 2019 से भी बुरा हाल 2024 में होगा।
सवाल : इस चुनाव में फैक्टर क्या है?
जवाब : देखिए, इस चुनाव का फैक्टर यह है कि यह कोई साधारण चुनाव नहीं है। यह चुनाव देश को पांच साल नहीं 100 साल आगे ले जाने वाला है। जो कांग्रेस 60 साल के शासन में नहीं कर सकी, वह पीएम मोदी के नेतृत्व में उससे 4 गुना अधिक 10 गुना 10 वर्ष के शासन में हुआ। 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। 1 करोड़ से अधिक गरीब दीदीयां लखपति बनी हैं। भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए 52 करोड़ जन धन खाते खोले और 34 लाख करोड़ की विभिन्न योजनाओं के पैसे लोगों के खाते में भेजे गए और एक रुपए का घोटाला नहीं हुआ। कांग्रेस के पीएम राजीव गांधी संसद में खड़े होकर कहते थे कि हम दिल्ली से एक रुपए भेजते हैं तो 15 पैसा पहुंचता है। भ्रष्टाचार की अम्मा कांग्रेस पार्टी है, वह मुकाबले से बाहर है। उसको प्रत्याशी खोजने नहीं मिल रहे हैं। अरुणाचल प्रदेश का समाचार मैंने पिछले दिनों पढ़ा तो देखा कि 10 भाजपा के विधायक निर्विरोध इसलिए निर्वाचित हुए क्योंकि कांग्रेस के पास लड़ाने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे। इससे आप समझ सकते हैं कि भाजपा का तूफान किस तेजी से चल रहा है और जनता मोदी जी के समर्थन में किस तेजी के साथ खड़ी है।
सवाल : सपा ने अपना मूल कैडर वोटर मुस्लिम और यादव को छोड़कर आपकी तरह अन्य पिछड़ी जातियों को टिकट देने का काम किया है।
जवाब : का वर्षा जब कृषि सुखानी। जब सपा की हैसियत थी कि किसी को विधायक और सांसद बनवा सकती थी, तब तो आपने उनको पूछा नहीं। जब एक पिछड़ी जाति के गरीब मां-बाप का लड़का देश का प्रधानमंत्री बन गया और फिर से बनने जा रहे हैं तो फूट डालो और सांसद बना लो, यह संभव नहीं है। मतदाता बहुत समझदार है। पिछड़े और अगड़ा वर्ग भाजपा के साथ हैं। सभी वर्ग भाजपा के साथ हैं। हम सबका साथ सबका विकास करते हैं, इसलिए सबका विश्वास और समर्थन हमारी पार्टी और पीएम मोदी को मिल रहा है।
सवाल : पीएम मोदी ने नारा दिया है 400 पार का, तो क्या यह संभव है?
जवाब : देखिये चार जून, चार बजे, चार सौ पार। फिर एक बार प्रचंड बहुमत से मोदी सरकार। जो नारा 2014 में दिया था कि 272 प्लस, तो 283 जीती थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में नारा था 300 पार, तो 303 जीते। 2024 का नारा है 400 पार तो मुझे पूरा विश्वास है कि देश पीएम मोदी का दीवाना है। मोदी जी देशवासियों के दीवाने हैं। मतलब वन-वे ट्रैफिक नहीं है। टू-वे ट्रैफिक है। जनता भी चाहती है कि मोदी जी के नेतृत्व में 400 पार हो। मोदी जी की अपील का बहुत गहरा असर लोगों में हुआ है। सबको विश्वास है कि भारत को विश्व में विकसित व शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा करना है, गरीबी से मुक्त भारत बनाना है तो और सभी क्षेत्रों में भारत को प्रगति के पथ पर आगे ले जाना है, रेल मार्ग हो - सड़क मार्ग हो, हवाई मार्ग हो, जलमार्ग हो सबको चालू करना है। हर खेत तक सिंचाई का भी पानी हो, हर घर तक पीने का भी पानी हो, हर घर में बिजली भी हो, यह सब कुछ करना है। मुझे विश्वास है कि इस लक्ष्य को पीएम मोदी ने 370 भाजपा और 400 प्लस भाजपा गठबंधन के लिए कहा है। यूपी के 80 की 80 लोकसभा सीट जीतेंगे। यूपी में सपा, बसपा और कांग्रेस का खाता नहीं खुलेगा।
(आईएएनएस)
बेंगलुरु, 22 अप्रैल । कर्नाटक में नेहा हिरेमथ हत्याकांड मामले में बीजेपी ने सोमवार को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। बीजेपी ने इस मामले में प्रदेश सरकार पर कानून-व्यवस्था नियंत्रित नहीं कर पाने का आरोप लगाया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र मैसूर में प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे, वहीं दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष अशोक तुमकुरु में प्रदर्शन करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और जगदीश शेट्टर हावेरी और बेलगावी संसदीय क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे। हिंदुत्व नेता और बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और कलबुर्गी में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
भाजपा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष सी. मंजुला ने सोमवार को छह बजे कैंडल मार्च निकालने का भी ऐलान किया है।
मंजुला ने कहा कि हिंदुओं पर लगातार हमले तेज होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "सरकार इस पूरे मामले की जांच में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास कर रही है। सरकार ने इस पूरे मामले में गलत सूचना भी उपलब्ध कराई है। वह उडुपी शहर के एक कॉलेज से आए टॉयलेट वीडियो रिकॉर्डिंग मामले में भी गलत जानकारी दे रही है। बेलगावी में सामने आए एक महिला की नग्न परेड मामले में भी सरकार ने गुमराह करने की कोशिश की।"
कांग्रेस पार्षद की बेटी नेहा की पिछले हफ्ते हुबली में उसके कॉलेज में नाराज प्रेमी फयाज कोंडिकोप्पा ने हत्या कर दी थी।
नेहा के पिता निरंजन हिरेमथ ने सख्त लहजे में कह दिया है कि अगर जांच के साथ छेड़छाड़ की गई तो वो और उनका परिवार सुसाइड कर लेंगे।
कांग्रेस नगरसेवक निरंजन हिरेमथ ने केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी से निवेदन किया है कि वो उनकी बेटी को इंसाफ दिलाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी निरंजन हिरेमथ के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे थे।
(आईएएनएस)
पिथौरागढ़, 22 अप्रैल । उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में एक तेज रफ्तार वाहन अनियंत्रित होकर खाई में जा गिरा, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए।
घायलों को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है, जहां उनका उपचार हो रहा है।
घटना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और घायलोंं को इलाज के लिए अस्पताल भेजा। घटना की सूचना मिलने के बाद एएसआई सुंदर सिंह मौके पर पहुंचे और पूरी वस्तुस्थिति का जायजा लिया।
एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंची। चार लोगों के शव को खाई से निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।
पुलिस के मुताबिक, ये सभी लोग किसी शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ये लोग दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का शिकार हो गए। फिलहाल, पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
(आईएएनएस)
हैदराबाद, 22 अप्रैल । संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ रहे तेलंगाना के दो छात्रों की एरिजोना में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई।
उनके परिवारों को मिली सूचना के मुताबिक, निवेश मुक्का और गौतम कुमार पारसी की शनिवार रात (स्थानीय समय) पियोरिया में उस समय मौत हो गई, जब उनकी कार दूसरी कार से जा टकराई। दोनों की उम्र 19 वर्षीय थी।
रिपोर्ट के अनुसार, निवेश करीमनगर जिले के हुजूराबाद शहर का रहने वाला था, वहीं गौतम कुमार जनगांव जिले के स्टेशन घनपुर का रहने वाला था। दोनों एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग कर रहे थे।
दोनों अपने दोस्तों के साथ विश्वविद्यालय से घर लौट रहे थे, तभी सामने से आ रही कार ने उनके वाहन को टक्कर मार दी। निवेश और गौतम की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य घायल हो गए।
निवेश डॉक्टर दंपत्ति नवीन और स्वाति का बेटा था। दोनों छात्रों के परिवारों ने भारत सरकार से शवों को वापस लाने में मदद की अपील की है।
(आईएएनएस)
रांची, 21 अप्रैल । झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर उनकी भाभी और दुमका लोकसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी सीता सोरेन ने सोशल मीडिया पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने रविवार को रांची में हेमंत सोरेन के समर्थन में हो रही इंडिया गठबंधन की रैली के ठीक पहले एक्स पर हेमंत सोरेन का कंधे पर गठरी ढोता हुआ पोस्टर शेयर किया, इस पर लिखा, “कदम-कदम बढ़ाए जा, झारखंड को नोच खाए जा।”
पोस्टर में इस स्लोगन को इंडिया एलायंस का एंथम बताया गया है। सीता सोरेन ने लिखा है, “बाती में तेल नहीं, जनता से कोई मेल नहीं। भ्रष्टाचार और अत्याचार से गठबंधन को परहेज नहीं। जिस प्रकार दीया बुझने से पहले खूब तेजी से फड़फड़ाता है, ठीक उसी प्रकार अपना राजनीतिक अस्तित्व मिटने से पहले इंडी गठबंधन वाले आखिरी बार फड़फड़ा रहे हैं।”
उन्होंने रैली को लेकर सोशल मीडिया पर कई और पोस्ट शेयर किए। एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा है, “मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए इन नेताओं को झारखंड के आदिवासियों और जल-जंगल-जमीन से कोई सरोकार नहीं है, ये बस अपना अस्तित्व बचाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। इन्हें लगता है कि जनता इनके कारनामे को नहीं जानती है, लेकिन इन्हें ये नहीं पता कि जनता इनके इरादे से अच्छी तरह वाकिफ है।”
उन्होंने आगे लिखा है, “गरीब आदिवासियों की जमीन छीनने वाले आज लोकतंत्र को खतरे में बता रहे हैं। लेकिन वो ये भूल जाते हैं कि जनता के सामने ये नौटंकी नहीं चलने वाली। जनता जानती है कि गरीब के हक पैसा छीनने वाला ये घमंडिया गिरोह ही लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन है।”
(आईएएनएस)
जयपुर, 21 अप्रैल । राजस्थान के झालावाड़ जिले में शादी समाराेेह से लौट रहे नौ लोगों की सड़क हादसे में मौत हो गई। वे लोग जिस वैन में सवार थे, वह एक ट्रक से टकरा गई।
वैन में 10 लोग सवार थे और वे मध्य प्रदेश के डूंगरी (खिलचीपुर) में एक शादी समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे।
यह हादसा जिले के अकलेरा थाना क्षेत्र में भोपाल रोड पर आज सुबह तीन बजे हुआ। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और वैन में फंसे घायलों को नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया।
अकलेरा पुलिस थाने के निरीक्षक संदीप विश्नोई ने आईएएनएस को बताया कि सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची।
इंस्पेक्टर ने कहा, "अस्पताल ले जाए गए 10 घायलों में से नौ को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि एक का इलाज किया जा रहा है। वह खतरे से बाहर है।"
विश्नोई ने बताया, अकलेरा कस्बे से शुक्रवार को एक बारात मध्य प्रदेश के खिलचीपुर इलाके में गई थी। वैन में सवार 10 लोग शनिवार देर रात शादी समारोह से लौट रहेे थे। इसी दौरान ''एनएच-52 पर अकलेरा के पास उनकी वैन एक ट्रक से टकरा गई।''
मृतकों में से सात एक ही गांव के थे और उनका अंतिम संस्कार रविवार को किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने मौतों पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा," हृदयविदारक सड़क हादसे की खबर सुनकर मन दुखी है। मैं ईश्वर से मृतकों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं।"
उन्होंने कहा, "शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। इस कठिन समय में हम आपके साथ हैं।"
(आईएएनएस)
रांची, 21 अप्रैल । रांची में रविवार को इंडिया गठबंधन में शामिल दलों की संयुक्त रैली हो रही है। इसे 'उलगुलान' रैली का नाम दिया गया है। इसके मतलब को लेकर खासा विवाद खड़ा हो गया है।
दरअसल, उलगुलान जनजातीय भाषा-संस्कृति का शब्द है। ऐतिहासिक संदर्भों में इसका उपयोग आदिवासी अस्मिता एवं जल, जंगल, जमीन पर होने वाले हमलों के खिलाफ विद्रोह या क्रांति के लिए किया जाता रहा है।
चूंकि आदिवासी मूल रूप से प्रकृति पूजक होते हैं और जल, जंगल, जमीन प्रकृति के घटक हैं, इसलिए इससे जुड़े उलगुलान शब्द को भी इनकी संस्कृति में बेहद पवित्र माना जाता है।
स्वतंत्रता संग्राम के महान आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में अंग्रेजी हुकूमत और उनके द्वारा पोषित साहूकारों-सूदखोरों के अत्याचारों को आदिवासियों के स्वशासन-स्वराज और पहचान पर हमला बताते हुए उलगुलान का ऐलान किया था।
अब रैली के लिए उलगुलान शब्द के इस्तेमाल पर विवाद खड़ा हो गया है। रैली की मेजबानी कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा की कोशिश है कि वह राज्य के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को आदिवासी अस्मिता पर हमले के तौर पर प्रचारित करे और लोकसभा चुनाव में भावनात्मक मुद्दे के रूप में इसे भुनाए।
यही वजह है कि रैली के मुख्य मंच पर हेमंत सोरेन को जेल की सलाखों के भीतर दर्शाती एक बड़ी तस्वीर रखी गई है और जगह-जगह पर मोटे अक्षरों में उलगुलान शब्द लिखा गया है।
हेमंत सोरेन की पत्नी और रैली की मुख्य मेजबान कल्पना सोरेन ने इस रैली को लेकर सोशल मीडिया पर लिखा, "यह देश के लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए, संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता के लिए, अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में बंद जननेताओं की रिहाई के लिए, जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए झारखंड और झारखंडियत की रक्षा के सवालों के लिए उलगुलान है।"
भाजपा ने रैली के लिए उलगुलान शब्द के इस्तेमाल पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई है। झारखंड प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, "आदिवासी समाज की जमीनों और उनके संसाधनों को लूटने और तबाह करने वाले उलगुलान जैसे पवित्र शब्द का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं? इंडी गठबंधन के साथियों को इतिहास में झांककर उलगुलान विद्रोह के बारे में पढ़ना चाहिए।"
भाजपा नेता ने आगे कहा कि उलगुलान विद्रोह मूल निवासियों के संसाधनों, उनकी जमीनों, उनके अधिकारों को जमीदारों और साहूकारों द्वारा छीने जाने के विरोध स्वरूप उत्पन्न हुआ था। आज इंडी गठबंधन उन्हीं साहूकारों और जमीदारों की तरह आदिवासी समाज की जमीनों को हड़पकर उलगुलान जैसे शब्द का राजनीतिकरण कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है।
भाजपा नेता ने इस रैली के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा, "यह भ्रष्टाचारियों का भ्रष्टाचारियों के लिए भ्रष्टाचारियों द्वारा आयोजित किया जा रहा सम्मेलन है।"
(आईएएनएस)
साहिबगंज, 21 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता नजरूल इस्लाम ने माफी मांग ली है। उन्होंने सदर एसडीओ की कोर्ट में पेश होकर लिखित माफीनामा पेश किया। नजरूल के खिलाफ साहिबगंज नगर थाने में बीडीओ सुबोध कुमार ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने सहित अन्य मामलों में केस दर्ज कराया था। इसके बाद एसडीओ कोर्ट ने उन्हें नोटिस भेजा था।
नजरूल इस्लाम शनिवार को अपने समर्थकों के साथ नगर थाना पहुंचे और बयान दर्ज कराया। इसके बाद वह साहिबगंज सदर एसडीओ कोर्ट में हाजिर होकर लिखित रूप से अपना पक्ष रखा। नजरूल इस्लाम झामुमो की केंद्रीय कमेटी का सदस्य हैं। वह पार्टी के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर एक कार्यक्रम में उनके भाषण का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। वीडियो में वह पीएम नरेंद्र मोदी के “अबकी बार 400 पार” के नारे का जिक्र करते हुए कहते हैं,“ मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि 400 सीट नहीं, 400 फिट के अंदर नरेंद्र मोदी को गाड़ दिया जाएगा।“
नजरूल के इस वीडियो को भाजपा के कई बड़े नेताओं ने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। विवाद बढ़ने पर नजरूल ने वीडियो जारी कर माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था,“मैं एक प्रोफेसर हूं, अच्छे-बुरे की परख है। यदि मेरे बातों से किसी को ठेस पहुंचा है, तो माफी मांगता हू। मेरा कहने का तात्पर्य था कि हम पीएम की गारंटी 400 के अंदर गांठ बांध देंगे।”
अब नजरूल इस्लाम ने एसडीओ कोर्ट में लिखित तौर पर कहा है कि उनके कहने का आशय ऐसा नहीं था, जैसा वीडियो में बताया गया है। इसके बावजूद वह अपने बयान पर खेद व्यक्त करते हैं।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 21 अप्रैल । दिल्ली में लाल किले के पास 36 वर्षीय कैब ड्राइवर को लूटने और उसकी हत्या में शामिल मुख्य आरोपी को पुलिस ने रविवार को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने बताया कि आरोपी की पहचान लोनी निवासी फिरोज के रूप में हुई।
दिल्ली पुलिस ने कुछ दिन पहले घटना के सिलसिले में तीन आरोपियों अनीता उर्फ रुखसार (28), साजिद (19), सलमान (24) को गिरफ्तार किया था। फिरोज फरार था और गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने ठिकाने बदल रहा था।
उत्तरी दिल्ली के डीसीपी एमके मीणा ने कहा कि फिरोज के ठिकाने के बारे में गुप्त जानकारी मिली थी। सूचना पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मुठभेड़ के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
डीसीपी ने कहा कि जब आरोपी को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया, तो उसने पुलिस टीम पर गोली चला दी। इस पर पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। आरोपी के बाएं पैर में चोटें आईं हैं। उसे अरुणा आसिफ अली अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
(आईएएनएस)
कोलकाता, 21 अप्रैल । पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले के रायगंज लोकसभा क्षेत्र में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) कर्मियों की सबसे अधिक तैनाती होगी, जहां 26 अप्रैल को दूसरे चरण में मतदान होगा।
उत्तरी दिनाजपुर जिले के तीन निर्वाचन क्षेत्र रायगंज, दार्जिलिंग और बालुरघाट हैं।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय के सूत्रों ने कहा, "इस समय सीएपीएफ की 303 कंपनियां पश्चिम बंगाल में हैं। इनमें से 272 कंपनियां तीन लोकसभा क्षेत्रों में तैनात की जाएंगी।"
रिपोर्ट के अनुसार, तीन लोकसभा क्षेत्रों में से एक रायगंज में सबसे ज्यादा 111 कंपनियां तैनात की जाएंगी। दार्जिलिंग में 88 और बालुरघाट में 73 कंपनियां तैनात की जाएंगी।
रायगंज के लिए तैनात की जाने वाली 111 कंपनियों में से, अधिकतम तैनाती इस्लामपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए होगी।
सूत्रों ने कहा, "रायगंज को विशेष जांच के दायरे में रखने के कई कारण हैं, जैसा कि चुनाव आयोग (ईसीआई) ने 19 अप्रैल को पहले चरण में कूच बिहार के मामले में किया था।"
पता चला है कि रायगंज के 1,730 मतदान केंद्रों में से 418 बूथ (24 प्रतिशत) अत्यधिक संवेदनशील हैं। यह आंकड़ा दार्जिलिंग की तुलना में अधिक है, जहां 20 प्रतिशत बूथ अतिरिक्त संवेदनशील हैं। बालुरघाट के मामले में यह आंकड़ा 19 प्रतिशत है।
पहले चरण में 100 प्रतिशत मतदान केंद्रों को वेब-कास्टिंग के तहत कवर किया गया था और दूसरे चरण में भी इसी तरह का पालन किया जाएगा। इस वेब-कास्टिंग के माध्यम से सीईओ कार्यालय के अधिकारी सीधे अपने कंट्रोल रूम से मतदान केंद्रों के घटनाक्रम पर नजर रख सकेंगे।
(आईएएनएस)
गुना 21 अप्रैल । मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक युवती के साथ ज्यादती करने वाले आरोपी के घर पर प्रशासन ने बुलडोजर चलाया। आरोपी पुलिस की गिरफ्त में है।
मामला गुना जिले के नानाखेड़ी इलाके का है। यहां अयान पठान नाम के युवक ने एक युवती के साथ मारपीट की थी। युवती की आंखों में भी चोट आई है। आरोपी ने युवती के शरीर के जख्मों पर मिर्ची पाउडर भी डाला।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। प्रशासन ने रविवार को उसके अतिक्रमण को बुलडोजर की मदद से जमींदोज करा दिया। आरोपी ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर निर्माण कर रखा था। इस पर पहले नोटिस भी दिया गया था। जवाब नहीं मिला, तो प्रशासन ने मकान के उस हिस्से को तोड़ दिया, जो अतिक्रमण कर बनाया गया था।
ज्ञात हो कि युवती के साथ गुरुवार को आरोपी ने दरिंदगी की थी। झाड़ू के पिछले हिस्से से युवती की आंखों पर हमला किया था और मारपीट की थी। उसके शरीर के घाव पर उसने मिर्ची पाउडर भी डाल दिया था।
युवती के परिजन आरोपी को फांसी की सजा दिए जाने की मांग कर रहे हैं। इस घटना पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी चिंता जताई थी।
उन्होंने एक्स पर लिखा था कि गुना की बेटी के साथ बर्बरता का समाचार विचलित कर देने वाला है। अपराधी को सख्त से सख्त सजा मिले, ताकि कोई हैवान हमारी बहन-बेटी के सम्मान से खिलवाड़ न कर सके।
(आईएएनएस)
मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश), 21 अप्रैल । उत्तर प्रदेश के एक गांव में पिछले साल अगस्त में गर्मियों में छह वर्षीय शिवांश ने पहली बार पानी में उछल-कूद की और खुशी का अनुभव किया।
आजादी के लगभग 76 साल बाद उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर की पहाड़ियों पर स्थित लहुरिया दाह गांव के लोगों को पहली बार पाइप से पानी की सप्लाई की गई।
तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट दिव्या मित्तल ने पाइपलाइन से पानी की सप्लाई शुरू कराई।
अब तक गांव के 1,200 लोग पानी के लिए पास के झरने पर निर्भर थे, जो गर्मियों में सूख जाता था। ऐसे में गांव में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए टैंकर ही एकमात्र साधन थे। इसके लिए गांव वालों को पैसा देना पड़ता था।
गांव के निवासी कौशलेंद्र गुप्ता ने कहा, "हम पूरे साल भर का बजट पानी पर खर्च कर रहे थे। लहुरिया दाह तक पानी की पाइपलाइन लाने का काम कितना कठिन था, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उचित योजना के अभाव में करीब एक दशक पहले बीच में ही काम रोक दिया गया था। जल जीवन मिशन में भी गांव को शामिल नहीं किया गया।"
एक अन्य निवासी जीवनलाल यादव ने पुरानेे दिनों को याद करते हुए कहा कि दूध बेचने के लिए वे मैदानी इलाकों में जाते थे और कंटेनर में पानी लेकर वापस आते थे।
उन्होंने कहा कि 25-30 सालों से गांव में टैंकरों से पानी की आपूर्ति होती थी और उनका पूरा बजट इसी पर खर्च हो जाता था। इस दौरान अक्सर लोगों के बीच झगड़े होते थे और तनाव पैदा होता था।
कौशलेंद्र गुप्ता ने कहा कि 4.87 करोड़ रुपये से अधिक की पिछली परियोजना के नतीजे नहीं आने और गांव तक पानी की आपूर्ति नहीं होने के बाद, हमने जिला मजिस्ट्रेट से मुलाकात की और उन्होंने समस्या पर ध्यान दिया। उन्होंने नए प्रयास शुरू किए और 10 करोड़ रुपये से अधिक की नई परियोजना को मंजूरी दी गई।
लहुरिया दाह, देवहार ग्राम पंचायत की सीमा में आता है। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भूभौतिकीविदों और अन्य तकनीकी विशेषज्ञों की मदद मांगी और कठोर चट्टानी सतह पर स्थित गांव तक पानी की पाइपलाइन ले जाने के लिए उपयुक्त तकनीक का पता लगाने के लिए जल जीवन मिशन, यूपी जल निगम, नमामि गंगे के अधिकारियों और मुख्य विकास अधिकारी की एक संयुक्त टीम का गठन किया।
इसके बाद इस गांव के लिए अलग से एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया, जिसे मंजूरी मिल गई। आखिरकार 31 अगस्त 2023 को गांव में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई।
गांव में एकमात्र कुएं का उपयोग वर्षा जल संचयन के लिए किया गया है, जबकि जानवरों के लिए पानी इकट्ठा करने के लिए एक कृत्रिम बांध बनाया गया है।
मध्य प्रदेश सीमा पर मिर्ज़ापुर जिला मुख्यालय से 49 किमी दूर स्थित लहुरिया दाह में कोल, धारकर, यादव, पाल और केशरवानी समुदायों की मिश्रित आबादी है।
(आईएएनएस)
चित्तौड़गढ़, 21 अप्रैल । राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में श्री सकल जैन समाज की ओर से महावीर जयंती का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों ने भगवान महावीर की एक भव्य शोभा यात्रा निकाली।
चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के नेतृत्व मे अन्य पदाधिकारियों और समाज सेवी संस्थाओं ने इस शोभायात्रा पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
जानकारी के अनुसार, चित्तौड़गढ़ में सकल जैन समाज की ओर से गांधी चौक से भगवान महावीर की एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई जो विभिन्न मार्गो से होते हुए गांधीनगर स्थित मांगलिक धाम पहुंची जहां समाज के लोगों ने विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया।
वहीं शोभायात्रा का चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के नेतृत्व मे भाजपा के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ कई समाजसेवी संस्थाओं की ओर से पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।
समाजसेवी संस्थाओं की ओर से शीतल पेय और आइसक्रीम का वितरण किया गया। इस भव्य शोभायात्रा के दौरान सकल जैन समाज के महिला एवं पुरुषों ने विशेष वेशभूषा धारण की हुई थी।
इस कार्यक्रम के दौरान अहिंसा के संदेश को जन जन तक पहुंचाया गया। आयोजकों ने कहा कि आज के युग में इस तरह के संदेश की बहुत जरूरत है।
(आईएएनएस)
नालंदा, 21 अप्रैल । जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म उत्सव जैन अनुयायी बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। रविवार को भगवान महावीर की 2623वीं जन्मोत्सव पर दो दिवसीय महोत्सव के पहले दिन कुंडलपुर समिति के द्वारा शोभा यात्रा निकाली गई।
नन्हे बाल रूप को विशेष रथ पर विराजमान कर जैन श्रद्धालुओं ने गाजे बजे एवं गीत नृत्य कर भगवान महावीर को नगर भ्रमण कराया।
उनके अनुयायियों ने शोभा यात्रा के दौरान भगवान महावीर के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाया।
इसके बाद भगवान महावीर के मुख्य मंदिर में विराजमान प्रतिमा का पंचामृत अभिषेक किया गया। इस मौके पर कुंडलपुर के जैन मंत्री विजय कुमार जैन ने बताया कि कुंडलपुर की इस धरा पर चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर जी का जन्म हुआ था।
इसी धारा पर से भगवान महावीर ने पूरे विश्व मैं सत्याहिंसा का संदेश दिया था। उन्होंने जन-जन को जियो और जीने दो के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया था।
(आईएएनएस)
झालावाड़, 21 अप्रैल । राजस्थान के झालावाड़ में एक बड़ा सड़क हादसा हुआ है। यहां बेकाबू ट्रॉली ने एक वैन को टक्कर मार दी जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई।
बताया गया है कि वैन में 10 लोग सवार थे जिसमें से 9 की मौत हो गई है।
सभी लोग एक शादी समारोह से लौट रहे थे।
हादसा अकलेरा के समीप पंचोला गांव में हुआ जहां एक बेकाबू ट्रॉली ने एक वैन को टक्कर मार दी जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई।
घटनास्थल पर पुलिस पहुंच गई है और घायल एक व्यक्ति को हॉस्पिटल में पहुंचाया गया है।
हादसा इतना भयानक था कि वैन के परखच्चे उड़ गए और मौके पर चीख-पुकार मच गई।
(आईएएनएस)